आइजोल जुड़ा रेल नेटवर्क से, म्यांमार बॉर्डर तक ट्रेन दौड़ाने की तैयारी तेज
ऋषिराज जोशी।

Ananya soch: Aizawl is connected to the railway network, preparations are on to run trains till Myanmar border
अनन्य सोच।
पूर्वोत्तर भारत में रेल कनेक्टिविटी का नया इतिहास रचते हुए भारतीय रेलवे ने मिजोरम की राजधानी आइजोल को देश के रेलवे मानचित्र पर दर्ज कर दिया है. बइरबी से सायरंग तक 51.38 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग का निर्माण पूरा हो गया है, जिससे राज्य की राजधानी तक ट्रेन पहुंचने का रास्ता साफ हो गया है. इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का उद्घाटन जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा.
करीब 8071 करोड़ रुपए की लागत से बने इस रेल सेक्शन में आधुनिक इंजीनियरिंग का अनूठा नमूना देखने को मिलता है. यहां 48 सुरंगें और 142 पुल बनाए गए हैं. इनमें से ब्रिज संख्या 196 (नया नम्बर-144) देश का सबसे ऊंचा पिलर ब्रिज है, जिसकी ऊंचाई 114 मीटर है. यह प्रोजेक्ट न केवल तकनीकी दृष्टि से चुनौतीपूर्ण था, बल्कि सामरिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.
म्यांमार बॉर्डर तक नई लाइन की योजना
सायरंग, जो आइजोल से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अब भारत-म्यांमार कनेक्टिविटी का द्वार बनने जा रहा है. रेलवे ने यहां से 223 किलोमीटर लंबी नई परियोजना का सर्वे शुरू किया है, जो म्यांमार बॉर्डर के हिबिचुवा तक जाएगी. लगभग 15 हजार करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना का विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) दिसंबर 2025 तक तैयार होने की संभावना है. इस नई लाइन पर 17 से 18 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनके माध्यम से 500 से अधिक गांव और कस्बे सीधे रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएंगे.
लोगों को होंगे बड़े फायदे
रेलवे नेटवर्क के विस्तार से मिजोरम के लोगों को कई स्तरों पर लाभ होगा.
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खाद्य सामग्री और आवश्यक वस्तुओं का परिवहन अब सस्ता और तेज हो जाएगा।
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पर्यटन को नया आयाम मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
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सीमावर्ती क्षेत्रों तक सेना की आवाजाही और भी सुगम व तेज होगी।
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500 से अधिक गांव पहली बार रेल सुविधा से जुड़ेंगे, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापारिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी।
बइरबी-सायरंग प्रोजेक्ट की फैक्ट फाइल
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लंबाई: 51.38 किलोमीटर
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लागत: 8071 करोड़ रुपए
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अधिकतम गति: 90 किलोमीटर प्रति घंटा
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सुरंगें: 48 (कुल लंबाई 12.8 किमी)
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पुल: 142 (55 बड़े, 87 छोटे)
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सबसे ऊंचा ब्रिज: संख्या 196, ऊंचाई 114 मीटर
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स्टेशन: बइरबी, हरतकी, कॉनपुई, मुअलखांग और सायरंग
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विशेष उपलब्धि: पूर्वोत्तर के 7 राज्यों में से 4वीं राजधानी बनी आइजोल, जो सीधे रेलवे नेटवर्क से जुड़ी
रेलवे अधिकारियों की राय
सीपीआरओ, नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे कपिंजल किशोर शर्मा का कहना है,
“मिजोरम में नया रेल नेटवर्क न सिर्फ आवागमन को आसान बनाएगा, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम है। इससे व्यापार, पर्यटन और विकास को नई दिशा मिलेगी.”
निष्कर्ष
आइजोल को रेलवे से जोड़ना मिजोरम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए ऐतिहासिक कदम है. यह परियोजना सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक, सामाजिक और सामरिक गतिविधियों को गति देगी. अब रेलवे की अगली चुनौती म्यांमार बॉर्डर तक रेल लाइन को पहुंचाना है, जो भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को मजबूत आधार देगा और क्षेत्रीय विकास में मील का पत्थर साबित होगा.