आरआईसी में संवेदनाओं का सजीव उत्सव, मंचन ने दर्शकों के दिलों को छुआ ‘जीना इसी का नाम है’

आरआईसी में संवेदनाओं का सजीव उत्सव, मंचन ने दर्शकों के दिलों को छुआ ‘जीना इसी का नाम है’

Ananya soch

अनन्य सोच। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (आरआईसी) का मुख्य सभागार मंगलवार की संध्या भावनाओं, मुस्कान और आत्मीयता से भर उठा, जब नाटक ‘जीना इसी का नाम है’ का प्रभावशाली मंचन किया गया. सांस्कृतिक प्रेमियों की उत्सुक उपस्थिति और शांत, ध्यानमग्न माहौल ने इस प्रस्तुति को एक यादगार नाट्य अनुभव में बदल दिया. 

प्रसिद्ध रूसी नाटककार अरबुज़ोव (Arbuzov) की चर्चित कृति ओल्ड वर्ल्ड से प्रेरित यह नाटक समुद्र तट पर स्थित एक शांत स्वास्थ्य केंद्र की पृष्ठभूमि में आकार लेता है. कथा के केंद्र में सरिता शर्मा और डॉ. भुल्लर जैसे दो परिपक्व पात्र हैं, जिनके बीच आरंभ में वैचारिक मतभेद और टकराव दिखाई देता है. समय के साथ यह टकराव अपनापन, संवेदना और विश्वास में बदल जाता है, जो जीवन के प्रति नई ऊर्जा और आशा का संचार करता है. नाटक यह सशक्त संदेश देता है कि जीवन में नए रिश्ते और नए आरंभ की संभावनाएं किसी भी उम्र में संभव हैं. 

कलाकारों का अभिनय अत्यंत संयमित, सहज और भावप्रवण रहा. संवादों की गहराई, भावों की सूक्ष्म अभिव्यक्ति और मंच पर उपस्थित शांत ऊर्जा ने दर्शकों को लगातार कथा से जोड़े रखा. लहरों की ध्वनि, बारिश में टहलने और मुक्त भाव से नृत्य करने जैसे दृश्य प्रतीकात्मक रूप से जीवन की सहजता और सुंदरता को उभारते नजर आए. 

सादगीपूर्ण लेकिन प्रभावी मंच-सज्जा और संतुलित निर्देशन ने कथा को सहज प्रवाह प्रदान किया, जिससे पात्रों के बीच विकसित होता भावनात्मक रिश्ता और अधिक सशक्त होकर सामने आया. प्रस्तुति के समापन पर गूंजती तालियों ने कलाकारों के समर्पण और नाटक की सफलता को स्पष्ट रूप से दर्शाया. 

हाउसफुल उपस्थिति और दर्शकों की गर्मजोशी भरी प्रतिक्रिया ने इस शाम को विशेष बना दिया. ‘जीना इसी का नाम है’ एक ऐसा नाट्य अनुभव रहा, जिसने बिना किसी शोर-शराबे के गहराई से दिलों को छुआ और जीवन के प्रति एक कोमल, सकारात्मक दृष्टिकोण छोड़ गया.