“Piyush Pandey: ‘फेविकॉल’ से ‘मोदी सरकार’ तक, भारतीय विज्ञापन के कहानीकार का अलविदा”

“Piyush Pandey: ‘फेविकॉल’ से ‘मोदी सरकार’ तक, भारतीय विज्ञापन के कहानीकार का अलविदा”
Ananya soch: “Piyush Pandey: From ‘Fevicol’ to ‘Modi Government’, the storyteller of Indian advertising bids farewell”
अनन्य सोच। भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज और पद्मश्री से सम्मानित Piyush Pandey का 70 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया. पिछले एक माह से कोमा में रहने वाले पांडे ने संक्रमण के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन अंततः दुनिया को अलविदा कह गए. उनके निधन से विज्ञापन और क्रिएटिव इंडस्ट्री में शोक की लहर छा गई है. चार दशकों तक ओगिल्वी इंडिया के साथ जुड़े पांडे ने भारतीय विज्ञापन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. Piyush Pandey ने विज्ञापन को भारतीय भावनाओं का आईना बनाया. ‘फेविकॉल का जोड़’, ‘कैडबरी का कुछ खास है’, ‘एशियन पेंट्स का हर घर कुछ कहता है’, ‘हच का पग’ और ‘दो बूंदें जिंदगी की’ (Fevicol's addition', 'Cadbury's something special', 'Every house of Asian Paints says something', 'Hutch's pug' and 'Two drops of life') जैसे उनके अभियानों ने न केवल ब्रांड्स को घर-घर पहुंचाया, बल्कि भारतीयता को वैश्विक मंच पर स्थापित किया. ‘abki baar modi  sarkar ’ जैसे राजनीतिक स्लोगन ने उनकी रचनात्मकता को सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी अमर कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “Piyush Pandey  जी ने विज्ञापन की दुनिया को नई भाषा दी. उनकी रचनाएं हमेशा प्रेरणा देंगी. ” वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें जनभाषा का जादूगर बताया, जबकि अमिताभ बच्चन ने ‘फेविकॉल’ विज्ञापन को यादगार करार दिया. गौतम अडाणी ने उनके निधन को भारतीय विज्ञापन की आत्मा का नुकसान बताया.1982 में ओगिल्वी से करियर शुरू करने वाले पांडे ने अंग्रेजी-प्रधान विज्ञापन जगत को भारतीय संवेदनाओं से जोड़ा. 2004 में वे कान्स लॉयंस के पहले एशियाई जूरी अध्यक्ष बने और 2016 में पद्मश्री से सम्मानित हुए. ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ और ‘भोपाल एक्सप्रेस’ जैसे उनके कार्यों ने सामाजिक एकता और संवेदना को स्वर दिया।पियूष पांडे की विरासत भारतीय विज्ञापन के स्वर्ण युग की कहानी है. उनके स्लोगन और कहानियां भावी पीढ़ियों को सिखाएंगी कि सादगी में ही असली ताकत है. भारत ने अपने रचनात्मक दूत को खो दिया, लेकिन उनकी कहानियां हमेशा जीवित रहेंगी. श्रद्धांजलि.