अपनी नीच राशि में वक्री हुए पराक्रमी मंगल
छह राशियों को बरतनी होगी विशेष सावधानी
Ananya soch
अनन्य सोच। ऊर्जा और पराक्रम के कारक ग्रह मंगल शनिवार को अपनी नीच राशि कर्क में वक्री हो गए हैं. मंगल अब 80 दिनों तक उल्टी चाल यानी वक्री होकर चलेंगे। मंगल कर्क राशि में वक्री होकर 24 फरवरी 2025 तक चलेंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई ग्रह किसी राशि में उल्टी चाल से चलता हुआ प्रतीत होता है उसे ग्रहों की वक्री चाल कहा जाता है. कर्क राशि में मंगल नीच के होते हैं और इसमें वक्री होना ऊर्जा के लिहाज से एक नया आयाम दे सकते हैं. मंगल के वक्री होने से 6 राशियों को सावधान रहना होगा.
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि मंगल एक निश्चित अंतराल पर राशि परिवर्तन करते है. इसका प्रभाव जीवन पर जरूर पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है. मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी होते हैं. मंगल एक निश्चित अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं.
इन राशियों को रहना होगा सतर्क:
मंगल का चंद्रमा की राशि कर्क में नीच का होकर वक्री होना कुछ राशि वालों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. कुछ राशि वालों के मानसिक, पारिवारिक, नौकरी और व्यापार पर कुछ नकारात्मक असर देखने को पड़ सकता है.
मेष राशि:
मेष राशि के जातकों पर मंगल का वक्री होना अच्छा नहीं कहा जा सकता है. मेष राशि के जातकों के लिए मंगल पहले और आठवें भाव के स्वामी होते हैं. मंगल के कर्क राशि में वक्री होने से यह आपके चौथे भाव में होंगे. ऐसे में आपको सुख-सुविधाओं में कमी देखने को मिल सकती है. वाहन, परिवार और जमीन-जायदाद से संबंधित कुछ समस्याएं पैदा हो सकती है. कार्यक्षेत्र में मंगल का वक्री होना अच्छा नहीं कहा जा सकता है. करियर में उतार-चढ़ाव रहेगा.
वृषभ राशि:
मंगल का वक्री होना आपके तीसरे भाव पर प्रभाव रहेगा. वृषभ राशि के जातकों के लिए मंगल सातवें और बारहवें भाव के स्वामी होते हैं. मंगल के वक्री होने से आपके पराक्रम और साहस में कमी देखने को मिल सकती है. काम के सिलसिले में यात्राओं के दौरान कुछ परेशानियां आ सकती है. नौकरीपेशा जातकों के लिए मंगल का वक्री होना शुभ नहीं कहा जा सकता है. कार्यक्षेत्र में तनाव रह सकता है. व्यापार करने वाले जातकों के लिए मुनाफे में कमी आ सकती है. धन हानि होने की संभावना है. आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी और संवादहीनता के चलते बिजनेस पार्टनर संग किसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
मिथुन राशि:
मिथुन राशि के जातकों के लिए मंगल दूसरे भाव में वक्री हुए हैं. आपकी राशि के लिए मंगल छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं. मंगल का दूसरे भाव में वक्री होना आपका परिवार के सदस्यों से कुछ मनमुटाव की स्थिति बन सकती है। धन संबंधी परेशानियों के साथ कर्ज का भी सामना करना पड़ सकता है। करियर में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा. जो लोग अगर व्यापार आदि से संबंधित है उन्हें कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस दौरान आपके द्वारा बनाई गई रणनीतियां असरदार नहीं होंगी। लापरवाही से कुछ नुकसान हो सकता है. आपको अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना होगा। नहीं तो लड़ाई-झगड़े की स्थिति बन सकती है.
कर्क राशि :
कर्क राशि मंगल की नीच राशि होती है और इस राशि के लग्न भाव में मंगलदेव वक्री हुए हैं. मंगल के वक्री होने से इस राशि के जातकों को करियर संबंधी तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. नौकरीपेशा लोगों को वेतन में वृद्धि और पदोन्नति के लिए कोई दूसरा विकल्प तैयार करने की सोच सकते हैं. संतान की शिक्षा को लेकर कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. व्यापार में मनमुताबिक लाभ नहीं मिलने से मन में निराशा का भाव रहेगा.
कन्या राशि:
कन्या राशि के जातकों के लिए तीसरे और आठवें भाव के स्वामी कर्क राशि में वक्री होने पर आपके एकादश भाव में गोचर कर रहे हैं. इससे आपको किसी काम में सफलता हासिल करने के लिए जरूरत से ज्यादा मेहनत करना होगी. कमाई कम और खर्चे ज्यादा होंगे. करियर-कारोबार में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी.
तुला राशि :
अपनी नीच राशि कर्क में मंगल के वक्री होने के दौरान मंगल आपके कर्म भाव यानी दशम में होंगे. इससे आपको कार्यक्षेत्र में कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. व्यापार में परेशानियां आ सकती हैं। लाभ के अवसरों में कमी आएगी. आपके आत्मविश्वास में कमी और मन में उग्रता रहेगी.