“24 कैरेट खरा सोना” में गूंजे रेट्रो गीतों के सुर
डॉ. प्रकाश छबलानी के निर्देशन में हुआ फिल्मी संगीत के स्वर्ण युग का शानदार पुनर्जागरण
Ananya soch
अनन्य सोच। गुलाबी नगरी जयपुर की सुरमयी शाम रविवार को सुनहरी यादों में तब्दील हो गई, जब विद्याश्रम के महाराणा प्रताप सभागार में आयोजित संगीत संध्या ‘24 कैरेट खरा सोना’ ने रेट्रो संगीत के स्वर्ण युग की चमक को एक बार फिर जीवंत कर दिया. डॉ. प्रकाश छबलानी के निर्देशन और परिकल्पना में सजे इस विशेष आयोजन ने दर्शकों को भावनाओं, सुर और नॉस्टैल्जिया की ऐसी यात्रा पर ले गया, जहां हर धुन दिल को छूती चली गई.
कार्यक्रम का आगाज डॉ. सुमन यादव की मधुर श्लोक प्रस्तुति से हुआ, जिसने सभागार में एक पवित्र वातावरण निर्मित किया. इसके बाद एक के बाद एक सदाबहार गीतों की मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को पुराने हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर में पहुंचा दिया. मंच संचालन शिल्पा परवानी ने गरिमामय ढंग से किया.
स्वर्ण युग की अमर प्रस्तुतियां
इस संध्या में “प्यार करने वाले” (प्रियंका काला), “तुम जो मिल गए हो” (यशवर्धन सिंह), “रात भी है कुछ भीगी-भीगी” (ममता झा), “नीले गगन के तले” (संजय रायजादा), “सत्यम शिवम् सुंदरम्” (प्रो. डॉ. सुमन यादव) और “जवान हो या बुढ़िया” (डॉ. प्रकाश छबलानी) जैसी अनगिनत प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. हर गीत ने तालियों की गूंज के बीच सभागार को संगीत के सागर में डुबो दिया.
सुर, लय और शास्त्रीयता का संगम
राजस्थान के प्रसिद्ध संगीतकार रवि टिलवानी द्वारा संयोजित संगीत ने हर प्रस्तुति को निखार दिया. कार्यक्रम में स्वर, लय और ताल का ऐसा समन्वय देखने को मिला जिसने साबित किया कि पुराना हिंदी संगीत आज भी दिलों पर वही असर रखता है.
गरिमामयी उपस्थिति और सम्मान का पल
कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मभूषण पं. विश्वमोहन भट्ट (ग्रैमी अवार्ड विजेता) ने की। मुख्य अतिथि त्रिमूर्ति बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के चेयरमैन उदयकांत मिश्रा रहे, जबकि विशिष्ट अतिथियों में देवेंद्र शर्मा (सेवानिवृत्त RAS अधिकारी), प्रो. सुमन यादव (हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका) और दीपक महान (डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर व लेखक) मौजूद रहे.
इस अवसर पर डॉ. प्रकाश छबलानी ने कहा, “‘24 कैरेट खरा सोना’ सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि उन भावनाओं का उत्सव है जो पुराने हिंदी गीतों की आत्मा में बसती हैं.” जयपुर की यह शाम संगीत प्रेमियों के लिए उस दौर की सुनहरी यादें फिर से ताज़ा कर गई — जैसे समय ठहर गया हो और सुरों की मिठास हर दिल में बस गई हो.