Youth Festival: युवा महोत्सव: नोबेल पुरस्कार विजेता सत्यार्थी ने कहा एक बच्चे को जूते पॉलिश करते देख बच्चों के लिए समान अधिकार की मिली प्रेरणा
Avinash parasar
Ananya soch: Youth Festival
अनन्य सोच, जयपुर। Youth Festival: शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि छह साल की उम्र में पहली बार स्कूल जाते समय उन्हें बच्चों के लिए समान अधिकार के लिए काम करने की प्रेरणा मिली. स्कूल के बाहर बैठे बच्चे को जूते पॉलिश करते देख मुझे बहुत दुख हुआ. मुझे अहसास था कि ईश्वर नहीं समाज ने असमानता की यह लकीर खींची है. धीरे-धीरे यह दुख मेरी प्रेरणा बन गया और मैंने सदियों से चली आ रही इस वर्ग भेद की लकीर को मिटाने का काम शुरू कर दिया. इसके लिए मैंने अपने दिल की सुनी और इलेक्ट्रिक इंजीनियर के तौर पर अपनी नौकरी छोड़ पूरी तरह से इस कोशिश को हकीकत में बदलने में लग गया. मेरे लिए यह आसान नहीं था, क्योंकि मैं बहुत संपन्न परिवार में पैदा नहीं हुआ था. मैंने अपनी कोशिश में तीन साथियों को खोया है, मेरे परिवार और मुझपर चाइल्ड ट्रैफिकिंग माफिया ने हमले किए. लेकिन मैं अपने रास्ते से भटका नहीं. धर्म के नाम पर बंटवारे और भेदभाव से हम जिस दिन ऊपर उठ जाएंगे सही मायनों में ह्यूमन फ्रेटरनिटी बन सकेगा. आज हमारे समाज में करुणा और परोपकार की भावना जागृत करना ही समय की मांग है. सकारात्मक रूप से सामाजिक बदलाव लाने के लिए यह बहुत जरूरी है. सत्यार्थी ने इन्हीं शब्दों के साथ युवाओं का आह्वान किया. अवसर था विराटनगर में 30 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच आयोजित हो रही तीन दिवसीय सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन के तहत पहले युवा शिखर सम्मेलन (first youth summit) 'यूथ समिट फॉर ह्यूमन फ्रटर्निटी एंड कम्पैशन (Youth Summit for Human Fraternity and Compassion) के उद्घाटन का. जायद अवॉर्ड फॉर ह्यूमन फ्रेटरनिटी (Zayed Award for Human Fraternity) के सहयोग से आयोजित इस समारोह में विभिन्न देशों और देश के अलग-अलग राज्यों से आए करीब 600 यूथ लीडर्स ने समारोह में अपने संघर्ष और बदलाव की कहानी सुनाई.