सिंहासन खाली है का मंचन

अनन्य सोच। रंगशीष आर्ट एंड कल्चर रिसर्च सोसायटी जयपुर की तरफ से शनिवार नाटक सिंहासन खाली है का मंचन रवींद्र मंच पर किया गया. नाटक के लेखक सुशील कुमार सिंह एवं निर्देशन निर्देशक दिनेश प्रधान ने किया.
नाटक में कबीलाई संस्कृति हो, सामंतशाही का दौरा हो या आज का लोकतांत्रिक दौर सिंहासन पर बैठने वाला व्यक्ति सत्ता के मघ में चूर हो अपना कर्तव्य भूल जाता है इसलिए सदियों से यह सिंहासन सच्चे देशभक्त के इंतजार में खाली पड़ा है. नाटक में सिंहासन एक सिंबल है हमारी उस मानसिकता का जो शक्ति और अधिकार मिलते ही निरंकुश हो उद्देश्य से भटक जाता है. कबीलाई संस्कृति, समातशाही और वर्तमान लोकतंत्र के इर्द-गिर्द बुना है यह नाटक में दिखाया गया है कि युग कोई भी हो आम जनता का शोषण और उसके हक की आवाज को दबाने वाला किरदार नहीं बदलते. ऐसा ही असहाय जनता के रूप में चित्रित महिला कलाकार को घेरे अन्य किरदार इस बात का प्रतीक है कि इस दौर में भी शोषण का यह कुचक्र बदस्तूर जारी है. नाटक एक राजनीतिक व्यंग है जो सदियों से चली आ रही राजनेताओं की निरंकुश प्रवृत्ति का चित्रण करता है.
नाटक में शब्दिका शर्मा ,समीर राजपूत , आकाश जोशी, ऋषभ गौतम, दीपक मुसाफिर, विशाल बेरवा, प्रांजल गुर्जर ने शानदार अभिनय किया. प्रकाश व्यवस्था गगन मिश्रा, संगीत गौरव गौतम, मंच व्यवस्था कॉनिक प्रधान और परिकल्पना एवं निर्देशन दिनेश प्रधान का था.