लता मंगेशकर के गाए एकल और युगल गीतों से जीवंत हुआ उनका अक्स
अनन्य सोच, जयपुर। महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में सोमवार की शाम कुछ खास थी, मंच पर था स्वर कोकिला और भारत रत्न स्व. लता मगेशकर का चित्र और उसके चित्र के बगल में प्रदेश के अनेक सुपर सिंगर्स लता के गाए दिलकश एकल और युगल गीतों के जरिए उन्हें स्वरांजलि दे रहे थे। इन गीतों की सुरीली अनुगूंज ने मानों लता के चित्र में प्राण फूंक दिए। ऐसा लग रहा था मानों स्वर साम्राज्ञी भी उनके गीतों के चल रहे कारवां का हिस्सा बन गई हों। मौका था लता को समर्पित कार्यक्रम ‘गु़ज़रा हुआ ज़माना’ में कलाकारों की प्रस्तुति का। महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में ये कार्यक्रम ‘स्वर सुरभि’ संस्था की ओर से डॉ. प्रकाश छबलानी की परिकल्पना और निर्देशन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राजस्थान की जानी-मानी गायिका सीमा मिश्रा के अलावा संजय रायजादा, सुमन्त मुखर्जी, डॉ. गार्गी बनर्जी और सलीम लता मंगेशकर के गाए एकल और युगल गीतों की माला पिरोकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
-सम्मानित हुईं चार हस्तियां
गीतों भरी इस शाम में विश्वविख्यात चित्रकार गोपाल स्वामी खेतांणची, स्वर सुरभि के संस्थापक और गायक डॉ. प्रकाश छबलानी, महान संगीतकार मदन मोहन की पुत्री संगीता गुप्ता और मरू कोकिला सीमा मिश्रा को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।
-इन गीतों की प्र्रस्तुति से जीवंत हुआ गुजरा हुआ जमाना
इस मौके पर सीमा मिश्रा का ‘तुझे बुलाएं ये मेरे आंसू’, डॉ. गार्गी बनर्जी का ‘नयनों में बदरा छाए’, संजय रायजादा का ‘धीरे धीरे चल चांद गंगन में’, डॉ. प्रकाश छबलानी का ‘कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है’, सीमा मिश्रा और सलीम का ‘जूली आई लव यू’ और संजय रायजादा तथा सीमा मिश्रा का गाया युगल गीत ‘मेरे नयना सावन भादों’ सहित कुल 27 ऐसे गीत पेश किए जिन्हें लता मंगेशकर ने अपने जीवनकाल में एकल और उस समय के नामी गायकों के साथ मिलकर गाया और एक अमिट इतिहास कायम कर दिया।