Jaipur Literature Festival: एक अच्छी किताब के लिए ज़रूरी है एक अच्छा एडिटर

Nawal sharma

Ananya soch: Jaipur Literature Festival

अनन्य सोच। Jaipur Literature Festival: Jaipur Literature Festival के एक सत्र “एडिटरोली स्पीक्स” में प्रसिद्ध संपादक व टी वी जर्नलिस्ट वीर सांघवी ने कहा कि लेखक व संपादक के बीच एक अच्छी समझ ज़रूरी है क्योंकि संपादक अपनी योग्यता से उस किताब को अधिक बेहतर बनाता है. लेकिन इसके लिए उन दोनों के विश्वास व ईमानदारी होना ज़रूरी है. अपनी नई किताब के संपादन के बारे में बताया कि इसकी संपादक मेरू गोखले ने इसे कम से कम चालीस प्रतिशत बेहतर बना दिया है. उनका कहना था कि उनके साथ काम करने से उनकी हर कृति में कम से कम बीस प्रतिशत सुधार हमेशा होता है. मेरी नई किताब की एडिटिंग के लिये सो तीन लोग सामने आये थे लेकिन मैंने उनको छोड़कर पेंगुइन को चुना क्योंकि मुझे पता था कि इसका संपादन मेरू ही करेंगी जो मेरी राइटिंग को बेहतर समझती है और मेरा इन पर विश्वास भी है. मेरू के काम करने के प्रॉसेस का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मेरी इस किताब के संस्मरणों को न केवल उन्होंने रोचक बनाया बल्कि अनावश्यक रूप से लंबे वाक्यों को छोटा किया और कुछ क़िस्सों को विस्तृत किया चूँकि यह संस्मरण थे इसलिए एक एडिटर को बजाय लेखक से संवेदना रखने के पाठक के नज़रिए से अधिक सोचना होता है. पाठक चूँकि आपके लिखे को आपके मुँह पर हल्का बताने की हिम्मत रखता है ऐसे में एडिटर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. 
एडिटर व राइटर के दोस्त बन जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव पर मैं नये दोस्त तलाशने के बजाय ऐसे लोग चाहता हूँ जो मेरे काम को सुधार सकें। अपने बारे में उन्होंने कहा कि मैं सही समय पर सही जगह था इसलिए मुझे सबसे युवा संपादक बनने का मौक़ा मिला.यह मेरा सौभाग्य था कि मैंने अरुण पुरी , सुमन दुबे सरीखे संपादकों के साथ काम किया और सीखा.