Jaipur Literature Festival: विश्व की सभी सभ्यताओं में पहले अहिंसक नायक थे बाहुबली

Nawal sharma

Ananya soch: Jaipur Literature Festival

अनन्य सोच। Jaipur Literature Festival: देश के जानेमाने माईथोलाजिस्ट देवदत्त पटनायक का कहना है कि हमारे देश में भले ही जैन मतावलंबियों की जनसंख्या एक प्रतिशत हो लेकिन हमारी जीडीपी में उनका योगदान दस प्रतिशत है. हमारी यह धारणा कि हिंदू धर्म के अलावा अन्य कहीं मायथॉलॉजी है ही नहीं, एक भ्रांति है। लगभग सभी धर्मों की अपनी मायथॉलॉजी है। जैन माइथोलॉजी एक कल्चरल ट्रुथ है ।इस पर कभी किसी लेखक ने अंग्रेज़ी में काम किया ही नहीं  और इसी को देखते हुए मैंने “बाहुबली द 63 इनशाइट्स इन जैनिज्म” लिखी है जिसका हिन्दी में शीर्षक है” तीर्थंकर”। इसमें जैन धर्म के तिरेसठ विचारों को मैंने शामिल किया है। मुझे आश्चर्य हुआ यह देखकर कि एक इतना महान धर्म और उस पर कोई ढंग की वैचारिक पुस्तक नहीं तो यह कदम मैंने बढ़ाया। क्या हम जैन पाव भाजी और जैन आलू प्याज़ नहीं खाते आदि से आगे भी इस समाज के बारे में जानना चाहते हैं। मुझे अच्छा लगता है यह देखकर कि आज इंस्टा और फ़ेसबुक के इस समय में भी लोगों को किताबें पढ़ने  का शौक़ है। 

जैन धर्म हमें शांत रहना सिखाता है। वहाँ उत्तेजना का कोई स्थान नहीं है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 वासुदेव, 9 बलदेव तथा 9 प्रतिबलदेव हैं। चौबीस तीर्थंकर एक जैसे हैं। सभी अहिंसा के पुजारी है। जैन धर्म हमें बताता है कि हिंसा बाहर से भीतर की यात्रा है जबकि अहिंसा भीतर से बाहर की । 
हमारा धर्म विश्वास आधारित धर्म है और ऐसे में हमें  किसी ग्रंथ की ओरिजनल प्रति की खोज के बजाय हमें जो अनुवाद उपलब्ध है उस पर विश्वास करना चाहिए। अब ओरिजनल गीता के लिये तो पहले कृष्ण की खोज करनी होगी क्योंकि सबसे पहले कृष्ण ने अर्जुन से गीता कही। फिर संजय ने धृतराष्ट्र को सुनाई। हमें यह वेदव्यास जी के माध्यम से मिली यानी अनुवाद के तीन स्तर तो ऐसे में हमें समझने की कोशिश करनी होगी।ओरिजनल होना इतना बड़ा मामला नहीं है।  हमारे यहाँ तो कहा भी गया है कि भजन की शक्ति भोजन की शक्ति पर निर्भर है। जिसको जितना हज़म हो सके उतनी ही खुराक दी जाती है। तो सच किसी को नहीं पता। जो कहता है कि यह सत्य है वो सबसे बड़ा झूठ है। 
इतिहास और मिथक के भेद को बताते हुए उन्होंने कहा कि मायथॉलॉजी और हिस्ट्री दोनों अलग अलग है। इतिहास में भूतकाल की घटनाएँ होती है जबकि मायथॉलॉजी में भूत भविष्य वर्तमान सब समाहित है। मायथॉलॉजी में विश्वास का सच है जो कुछ लोगों का सच है और यहाँ फ़ेक्ट्स अथवा प्रमाण की ज़रुरत नहीं है जबकि इतिहास सबका सच है विज्ञान का सच है जहां फ़ेक्ट्स भी है और प्रमाण भी। मायथॉलॉजी में हम सनातन के विचारों को रोचक कहानियों के माध्यम से पढ़ते हैं और सीख ग्रहण करते हैं।