जावेद हुसैन और डॉ. बबीता ने सजाया ग़ज़लों का गुलदस्ता

जावेद हुसैन और डॉ. बबीता ने सजाया ग़ज़लों का गुलदस्ता

Ananya soch

अनन्य सोच। गुलाबी सर्दी के बीच शुक्रवार को जवाहर कला केन्द्र में ग़ज़लों के साथ शाम सजी. मौका रहा केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय 'सुमिरन' कार्यक्रम की शुरुआत का. मध्यवर्ती में मशहूर ग़ज़ल गायक जावैद हुसैन और डॉ. बबीता ने अपनी सुरीली आवाज में विभिन्न रचनाएं पेश की. कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार शाम सायं 6:30 बजे से सा रे गा मा मेगा फाइनल विनर और फिल्म वीर ज़ारा के प्लेबैक सिंगर रहे मोहम्मद वकील ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाएंगे.  गौरतलब है कि 'सुमिरन' ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह को समर्पित है जिसमें ग़ज़ल, गीत और भजनों की रसदार बहेगी.

जावेद ने 'बाल निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी' ग़ज़ल के साथ प्रस्तुति की शुरुआत की। 'शाम से आंखों में नमीं सी है' और 'देस में निकला होगा चांद' ग़ज़ल पेश कर उन्होंने विरह के दर्द को जाहिर किया। 'प्यार का पहला खत', 'दिन आ गये शबाब के आंचल संभालिए' गाकर उन्होंने माहौल को रूमानियत से भर दिया. डॉ. बबीता ने 'कभी तो खुल के बरस अब्रे महरबा' के साथ परफॉर्मेंस में एंट्री की और फिर 'सफर में धूप तो होगी' ग़ज़ल पेश की। जावेद और बबीता ने 'गम का खजाना तेरा भी है मेरा भी' की डूएट परफॉर्मेंस दी। 'ये ना थी हमारी किस्मत और 'हम को दुश्मन की निगाह से' ग़ज़ल के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. 

वायलिन पर गुलजार हुसैन, गिटार पर उत्तम माथुर, की—बोर्ड पर रहबर हुसैन, बेस पर बंटी जोसेफ, तबले पर मेहराज हुसैन, ऑक्टो पैड  पर सुखदेव प्रसाद ने संगत की. अनामिका अनंत ने मंच संचालन किया.