अध्ययन से ही मिलेगी नाट्यशास्त्र की गहरी समझ : भार्गव
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Ananya soch: jawahar kala kendra talk show
अनन्य सोच। jawahar kala kendra today's talk show event: जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित ‘नाट्यशास्त्र पर व्याख्यान एवं परिचर्चा’ के दो दिवसीय कार्यक्रम का मंगलवार को समापन हुआ. इस अवसर पर वरिष्ठ नाट्य गुरु, नाटककार, समीक्षक व निर्देशक भारतरतन भार्गव व संस्कृति कर्मी, कला आलोचक, निबंधकार डॉ. राजेश कुमार व्यास ने नाट्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धांतो व तत्वों पर परिचर्चा करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किए.
कृष्णायन में हुई परिचर्चा के दौरान भार्गव ने नाटक की बदलती शैलियों पर प्रकाश डाला और बताया कि पाश्चात्य शैली से प्रभावित नाटकों में नाट्यशास्त्र के मूल तत्वों की कमी देखी जाती है. भार्गव ने कहा कि मुगलकाल और ब्रिटिश शासन के समय नाट्यशास्त्र को भारी नुकसान हुआ, जिससे पारंपरिक नाट्य कला की निरंतरता बाधित हुई. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी आज की पीढ़ी पढ़ने से कतराती है, जबकि जितना अधिक हम अध्ययन करेंगे, उतना ही नाट्यशास्त्र के गहरे अर्थों और महत्व को समझ पाएंगे. बिना अभ्यास और गहन अध्ययन के नाट्यशास्त्र की सटीक समझ विकसित करना आज की पीढ़ी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में नाटक मंडलियों की परंपरा नगाड़े बजाकर लोगों को सूचित किए जाने की रही है जिससे यह संदेश दिया जाता था कि नाटक शुरू होने वाला है. इसी प्रकार, पूजन विधान और गुरु-शिष्य परंपरा भी भारतीय नाट्य कला का अभिन्न हिस्सा रही है. उन्होंने कहा कि नाटक केवल संवाद बोलने की कला नहीं है, बल्कि इसमें संगीतात्मकता, आंगिक और वाचिक तत्वों का संतुलन आवश्यक होता है. परिचर्चा के दौरान भास रचित लघु नाटक ‘प्रतिज्ञा यौगन्धरायण’ की प्रस्तुति दी गई.