रंगायन में गूंजा श्रीकृष्ण का माधुर्य भ्रमर गीत ने मोहा दर्शकों का मन

Ananya soch: Madhuram Festival
अनन्य सोच। krishna janmashtami: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर जवाहर कला केन्द्र (जेकेके) में आयोजित मधुरम महोत्सव का समापन बुधवार को नृत्य-नाटिका ‘भ्रमर गीत’ की मनोरम प्रस्तुति से हुआ. गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृंदावन के कलाकारों ने ब्रज संस्कृति और कृष्ण लीला को जीवंत मंचन से साकार कर दिया.
प्रस्तुति की संकल्पना और निर्देशन अकादमी के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना ने किया। उन्होंने ब्रज भाषा के प्रमुख कवि सूरदास और आधुनिक कवि छैल बिहारी छैल की रचनाओं को एक सूत्र में पिरोते हुए इसे रूपांतरित किया. मंच पर कृष्ण-गोपियों के रास, उद्धव-संदेश प्रसंग और गोपियों के विरह-वेदना को संगीत, नृत्य और संवाद के अद्भुत संयोजन से प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम के दौरान रंगायन का मंच मानो वृंदावन में तब्दील हो गया. नित्य रास की झलकियों से आरंभ हुई प्रस्तुति, कृष्ण के मथुरा गमन और गोपियों की व्यथा तक पहुंची. ‘भ्रमर’ प्रसंग में गोपियों की विरह व्याकुलता और कृष्ण की स्मृतियों को देखकर दर्शक भाव-विभोर हो उठे. अंत में उद्धव का ज्ञान भी गोपियों के निःस्वार्थ प्रेम के सामने हार गया और प्रस्तुति भावपूर्ण समापन की ओर बढ़ी.
इस अवसर पर बड़ी संख्या में कला-प्रेमी उपस्थित रहे. मंचन में तनिष्का राजपूत, कामिनी शर्मा, प्रिया शर्मा, समीक्षा यादव, रक्षिता द्विवेदी सहित कई युवा कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति दी. संगीत में पखावज, बांसुरी, सारंगी व हारमोनियम ने रंग भरे, जबकि प्रकाश और ध्वनि संयोजन ने प्रस्तुति को और भी जीवंत बनाया.
प्रो. खन्ना ने बताया कि अकादमी का उद्देश्य ब्रज संस्कृति को प्रोत्साहन देना है. चार महीने की तैयारी के बाद राजस्थान में ‘भ्रमर गीत’ का यह पहला मंचन हुआ. महिला कलाकारों ने भी पहली बार अभिनय कर अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया.