नाटक 40 प्लस में दिखा बढ़ती उम्र से रास्तों पर प्रभाव

नाटक 40 प्लस में दिखा बढ़ती उम्र से रास्तों पर प्रभाव

अनन्य सोच। Ravindra munch: रवींद्र मंच की हीरक जयंती महोत्सव के अंतर्गत कला एवं संस्कृति विभाग तथा रवींद्र मंच द्वारा टैगोर थिएटर योजना के अंतर्गत नाटक 40 प्लस (40 plus) का मंचन शुक्रवार को किया गया. एल कलावत लिखित एवं भारती प्रजापति निर्देशित नाटक की कहानी में एक अधेड़ राधे शादी के लिए शीला को देखने जाता है. राधे यह मन में ठान लेता है कि उम्र की इस दहलीज पर वह महिला का व्यवहार जरूर देखेगा.

कहीं धोखा न खा जाये. राधे शीला के घर में प्रवेश करता है और शीला का व्यवहार देखता है. लेकिन व्यवहार विपरीत देखकर राधे निराश होता है और अकेलेपन का कारण पूछता है. शीला बताती है कि कई कारण रहे है जिसमें वह अकेली रही है. कई बार तो दुष्कर्म का प्रयास हुआ. शादी भी टूटती गई, समाज भी गलत देखता तो चिन्ता में भी रहती है. फिर व्यवहार ही ऐसा बनता गया है कि आज उम्र की इस दहलीज पर तनाव हावी हो जाता है और बेरूखा व्यवहार उत्पन्न होता है, जिस कारण मुझे कई पुरूष मना भी करके चले गये. इस बीच राधे शीला को कई प्रकार किस्से और प्रसंग से समझाने का प्रयास करता है कि कई महिला पुरूष अलग अलग रहकर स्वयं और दूसरों का जीवन खराब कर रहे है. अन्त में जब महिलाओं की बात आती है और राधे महिलाओं की उम्र पर कटाक्ष करता है तो शीला चिढ़ जाती है और राधे को घर से बाहर निकाल देती है. राधे एक बार फिर निराश हो जाता है. लेकिन राधे अपने ही सिद्धान्त पर अटल रहता है कि चालीस पार युवक एक अनुभवी होता है और समझदारी होती है ऐसी स्थिति में महिला को पुरूष में और पुरूष को महिला में किसी भी प्रकार की कमी है तो उसे दरकिनार कर जीवन को खुश बनाना चाहिए. इसी सोच को लेकर राधे फिर शीला के घर पहुँचता है लेकिन इस बार शीला के व्यवहार और राधे की सोच से प्रभावित होकर शादी करने को कहती है. दोनों एक अनोखी शादी करते है और मोमबत्ती जलाकर घर में ही फेरे लेते है और जीवन में बंध जाते है.

नाटक का सामाजिक प्रभाव उन महिला और पुरूष पर हजो अकेलेपन में रहते है और माता पिता पर बोझ बनकर रहते है शादी नहीं करते है इसी पर प्रकाश डालता है. अकेलापन बहुत खतरनाक होता है जिसमें आत्महत्याएं, अपराध, दुष्कर्म बढ़ता है. नाटक से स्पष्ट होता है कि जीवन मंे एक जीवन साथी होना चाहिए जिससे जीवन खुश रहे और अकेलापन दूर होकर वृद्धावस्था बेहतर स्थिति में गुजरे. नाटक में महिला सशक्तिकरण पर भी प्रकाश डाला गया है.

नाटक मे कलावत के.एल. और भारती प्रजापति ने दमदार अभिनय किया. प्रकाश व्यवस्था मोहन सैनी, संगीत अमित झा, मंच सज्जा लक्षिता सोनी की रही.