Sanskrit dance drama:यक्ष ने बादलों को 'मेघदूत बनाकर भेजा विरह संदेश
Sanskrit dance drama: जेकेके के रंगायन सभागार में हुआ संस्कृत नृत्य नाटिका का मंचन
Ananya soch: jawahar kala kendra
अनन्य सोच, जयपुर। Sanskrit dance drama: बादलों को दूत बनाकर आषाढ़ की विरह में अपना संदेश भेजने को जब कलाकारों ने कथक के जरिये मंच पर संगीत की स्वरलहरियों पर साकार किया, तो कालिदास के रचे किरदार मानो मंच पर इठलाने लगे.
संस्कृत में स्वरबद्ध मेघदूत को हरिहरण, कविता कृष्णमूर्ति और रवीन्द्र साठे की मधुर आवाज में रेकॉर्डेड संगीत ने दर्शकों के दिलों तक यक्ष के विरह की वेदना को पहुंचाने का काम किया.
अवसर था आरोहिणी कथक नृत्य अकादमी और राजस्थान फोरम की ओर से जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में मंचित नृत्य नाटिका 'मेघदूत के मंचन का. कथक गुरु मंजिरी किरण के निर्देशन में उनकी १८ से २५ वर्ष की सात शिष्याओं ने मंच पर विरही यक्ष, कुबेर, मेघों, यक्ष की पत्नी और अन्य किरदारों को कथक की मनमोहक भाव-भंगिमाओं के साथ प्रस्तुत किया.
रंगायन सभागार में शाम ६.३० बजे से मंचित हुए इस कार्यक्रम में महाकवि कालिदास के श्रेष्ठतम संस्कृत महाकाव्य के मुख्य पात्र यक्ष के अपनी प्रियतमा को मेघों से संदेश भेजने और मार्ग की सुंदरता का शाब्दिक सौंदर्य वर्णन दर्शकों को ५० मिनट की प्रस्तुति के दौरान बांधे रखता है. इस नृत्य नाटिका का संगीत पद्मभूषण पं. विश्व मोहन भट्ट और ऑर्केस्ट्रा पं. रोनू मजूमदार का है. यह नाटक की चौथी मंच प्रस्तुति है. पहला शो तैयारी के ढाई साल बाद हुआ था.
-दो साल में तैयार हुआ नाटक
नाटक की निर्देशक, कोरियोग्राफी और ड्रैस डिजाइनिंग कथक गुरु मंजिरी ने की है. उन्होंने बताया कि नाटक को कोविड के समय तैयार किया गया था. इसे तैयार करने में दो साल से ज्यादा का समय लगा.
संस्कृत में होने के कारण इसके ट्रांसलेशन, हिंदी नैरेशन और भावार्थ को कथक के साथ बिठाने में दो साल का समय लगा. संस्कृत के श्लोकों को प्रणय भारद्वाज की आवाज में हिंदी में भी समझाया गया है.
मंजिरी ने बताया कि हमने यक्ष की निराशा दिखाने की बजाय अपनी पत्नी से मिलने की उसकी आशा को दिखाने की कोशिश की है. अदिति शर्मा, अंजना पिल्लई, दिशा भट्ट, श्रेया पंडित, हिमानी प्रजापति, ईवा शर्मा, कृष्णेशी शर्मा ने मंच पर प्रस्तुति दी.
-लाइट्स भी किरदार के रूप में दिखी
नाटक में लाइट्स ने भी एक किरदार के रूप में अहम भूमिका निभाई. लाइट सज्जा करने वाले गगन मिश्रा ने बताया कि उन्होंने नाटक की थीम और ऐतिहासिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए स्पेशल लाइट्स का इस्तेमाल किया है.
मेघों के जल, नदियों के जल की परछाईं, कलरव करते पक्षियों और घुंघरुओं की थाप को दिखाने के लिए भी विशेष लाइट्स से बहुत खूबसूरत दृश्य बनाया.