मस्तान बाबा ने सिखाई जीने की राह

अनन्य सोच। रवींद्र मंच के 60 वर्ष पूर्ण होने पर हीरक जयंती महोत्सव के अंतर्गत कला एवं संस्कृति विभाग तथा रविंद्र मंच द्वारा टैगोर थिएटर योजना के अंतर्गत मार्मिक और सामाजिक नाटक बेवा का मंचन शुक्रवार को हुआ.
नाटक मुस्लिम समुदाय की कहानी हैं, जिसमें कयूम साहब की दूसरी बीबी का बेटा रसीद जो पढ़ा लिखा होने के बावजूद उसकी सरकारी नोकरी नहीं लगती है, लेकिन रसीद की बीबी सितारा बेगम एक हज्जत औरत है उसके 6 बेटियां एवं एक बेटा है. सितारा बेगम के पति का देहांत होने से पूर्व ही कयूम साहब सारी जायदाद उसके नाम कर देते हैं परंतु उनका देवर उसे जबरन घर से बेदखल करना चाहते हैं. सितारा बैवा की लाचारी एवं बेबसी की जिंदगी जी रही है. अपनी जवान एवं खूबसूरत लड़कियों की शादी करना चाहती है परंतु दहेज के पैसे नही होने के कारण ऐसा संभव नही हो पाता है. घर में कोई बड़ा मर्द नही होने पर उन्हें और ज्यादा परेशानियां होती है. महजब के अनुसार उनको बाहर जाने एवम नौकरी करने की इजाजत नही देती है, वह दरगाह एवं फकीरों के चक्कर लगाने लगती है और अंत में हताश होकर आत्महत्या करने की कोशिश करती है तब उसकी मुलाकात मस्तान बाबा से होती है और वह उसे अल्लाह के बताए हुए सही रास्ते पर चलने का मशवरा देता है तथा समाज के बंधुओ से जवान लड़कियों के निकाह का आह्वान करता है तथा उनका समझदार लड़को से निकाह करवाता है. नाटक यह संदेश देता है की किसी बेबस इंसान का सहायता करनी चाहिए एवं दहेज जैसी कुप्रथा को समाज से बाहर निकाल फेंकना चाहिए. किसी के जायज हकों पर कुठाराघात नही करना चाहिए. नाटक बहुत मार्मिक एवम भावनात्मक था.
नाटक में बेवा का किरदार सितारा बेगम, मस्तान बाबा का मो. इलियास खान ने दमदार अभिनय किया तथा अन्य किरदारों में ज्योत्सना कौशिक, मुस्कान खान, शबनम खान, सीमा, अलीना अली, रिया कुमारी, कृष्णा कुमावत, हर्ष, जय कौशिक, सत्यप्रकाश, दर्शिका कुमावत, अंजली, अवंतिका, विजय लक्ष्मी, राहुल, सुनीता चौधरी, चंद्रशेखर, रमेश बुनकर, जीतू चौधरी, अनूप गुप्ता, इमरान बाहुबली ने शानदार अभिनय किया.