बांग्लादेश में हिंदू समाज पर हो रहे दमन को लेकर जयपुर में सर्व हिंदू समाज का फूटा गुस्सा
Ananya soch
अनन्य सोच। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और वहां हिंदू समाज पर हो रहे दमन के विरोध में देशभर में लगातार हो रहे प्रदर्शन के बीच बुधवार को राजधानी जयपुर में सर्व हिंदू समाज का गुस्सा फूट पड़ा. शहर के ह्दय स्थल बड़ी चौपड़ पर ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन हुआ. हजारों लोगों ने आक्रोश प्रकट किया. बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार और हत्या के खिलाफ नारे लगे. जय श्रीराम के उद्द्घोष के बीच बांग्लादेश सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. प्रदर्शन में संत-महंत, जनप्रतिनिधि, युवा, मातृ शक्ति सहित सर्व हिंदू समाज के लोगों ने हिस्सा लिया. हिंदुओं को एकजुट होने के लिए बंटोगे तो कटोगे...एक रहेंगे नेक रहेंगे का नारा भी दिया गया. धरना स्थल पर बनाए गए मंच पर केवल संत-महंत बैठे. वहीं सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा, हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य, महापौर जयपुर ग्रेटर कुसुम यादव, भाजपा नेता रवि नैय्यर, समाजों के मुखिया नीचे सडक़ पर बैठे. सभी लोगों ने एक हाथ में भगवा ध्वज तो दूसरे हाथ में सेव हिंदू इन बांग्लादेश, धर्मो रक्षति रक्षित: जात पात की करो विदाई हिंदू हिंदू भाई, कल नहीं कुछ हल बचेगा-आज लड़े तो कल बचेगा जैसे नारे लिखी तख्ती थाम रखी थी. जयश्री राम और भारत माता की जयकारों ने धरने के माहौल में जोश भर दिया.
वक्ताओं ने कहा कि आज जात-पात में बंटने का नहीं एक होने का समय है। सभी को मिलकर एकता की ताकत दिखानी होगी. वहीं केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह संयुक्त राष्ट्र संघ और मानवाधिकार परिषद में इस गंभीर प्रसंग को उठाए और उचित समाधान निकाले. प्रदर्शन में शामिल सर्व हिंदू समाज के सभी संगठनों से जुड़े लोगों ने भी मांग कि केन्द्र सरकार बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाले. वहां रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर वहां की सरकार से बात करे. केन्द्र सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका को बढ़ाते हुए बांग्लादेश पर दबाव बनवाए. इस मौके पर भारत की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भेजे ज्ञापन को पढक़र सुनाया गया. पांच सूत्री ज्ञापन में बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाकर धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने की मांग मुख्य है. सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ के साथ धरने का समापन हुआ. कार्यक्रम का संचालन प्रताप भानु और राकेश कुमा शर्मा ने किया. राजपूत सभा, जयपुर के अध्यक्ष राम सिंह चंदलाई ने कहा कि हमें भूल जाने की आदत है. हमें अपना गौरव याद करना चाहिए. बांग्लादेश की सरकार भी समाज की रक्षा के लिए है जिसे समाज में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार को कड़ाई से रोकना चाहिए. उसे याद रखना चाहिए कि बांग्लादेश के निर्माण के लिए भारत ने साथ दिया था. अक्षयपात्र के रघुपतिदास ने कहा कि दुनिया के लोग बांग्लादेश पर दबाव डालें जिससे बांग्लादेश में हिंदू समाज की सुरक्षा हो सके. बांग्लादेश में हिंदुओं की सरेआम हत्या की जा रही है। इस अत्याचार को तुरंत रोका जाना चाहिए.
महंत विष्णु नागा ने कहा कि बांग्लादेश में जो घटनाएं हो रही है उसमें वामपंथी और इस्लामी कट्टरपंथी का पूरी तरह से हाथ है. दोनों मिलकर हिंदू समाज का दमन करने में लगे हैं। हम एकजुट नहीं हुए तो ऐसी घटनाएं भारत में भी हो सकती है.
सिंधी समाज के चंद्रप्रकाश खेतानी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि इस घटना को लेकर वैश्विक संगठनों में जिस तरह का विरोध दिखना चाहिए, वह नहीं दिख रहा है. सभी संगठनों को आगे आकर बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.
सिख समाज के सरदार जसवीर सिंह ने कहा कि कृष्ण दास की गिरफ्तारी पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का हनन है. वैश्विक संगठनों को भी आगे आकर इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.
गालव आश्रम के राघवेन्द्राचार्य ने कहा कि हम भ्रम में न रहे कि भारत में बहुसंख्यक है तो सुरक्षित है. हम जहां बहुसंख्यक हैं वहां भी दुखी है. इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण की रिहाई के लिए पूरी दुनिया में अभियान चलाना चाहिए। विरोध प्रदर्शन के लिए आयोजित सभा को वाल्मीकि समाज के सत्यनारायण डेनवाल, गुर्जर समाज के देवनारायण गुर्जर, माली समाज के रोशन सैनी, जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष गोयल, मनीष दास महाराज, अमरनाथ महाराज, महंत राकेशदास ने भी संबोधित किया.
बांग्लादेश सरकार अपने तेवर बदल लें: गोपाल शर्मा
सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बांग्लादेश में आजकल जो हुकूमत सत्तासीन है, उसका उदारवादी चेहरा भले ही नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस हैं, किंतु सत्ता की वास्तविक कमान जमात ए इस्लामिया और बांग्लादेश के इस्लामी फौजी हुक्मरानों के हाथों में है. जिस दिन से शेख हसीना सत्ता से बेदखल की गई हैं तब से बांग्लादेश की सत्ता इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथों में आ गई है। उसी रोज से ही नृशंस कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं,उनके मंदिरों, मकानों, कारखानों पर निरंतर आक्रमण किए जा रहे हैं. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि भारत में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेन्द्र मोदी बैठे हैं. समय रहते बांग्लादेश सरकार को अपने तेवर बदल लेने चाहिए. इसी में उसकी भलाई है.
गोपाल शर्मा ने कहा कि मोहम्मद यूनुस की कथित अंतरिम सरकार दुर्दात कट्टरपंथी हमलावरों पर कोई भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने में एकदम नाकामयाब सिद्ध हुई है. किसी संप्रभु देश की स्वायत्तता को किसी भी प्रकार से चुनौती देना दूसरे देश की सरकार के लिए ठीक नहीं है परंतु एक बड़े हिंदू समुदाय का इस प्रकार से उत्पीडऩ होता रहे और भारत सरकार सिर्फ देखती रहे, लंबे समय तक यह स्वीकार नहीं किया जा सकता. हम सभी को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए। बांग्लादेश की आबादह 17 करोड़ है जिसमें तकरीबन आठ फीसदी हिंदू हैं. यदि बांग्लादेश की अल्पसंख्यक आबादी पर इसी तरह के जुल्म जारी रहे और बांग्लादेश की हुकुमत इस तरह से मूकदर्शक बनी रही, तो फिर बांग्लादेश में भी हिंदुओं का रहना उसी तरह नामुमकिन हो जाएगा जिस तरह कभी पाकिस्तान में हुआ था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के होते हुए ऐसा नहीं हो सकता.