art exhibition 'Blooming Thar': आर्ट एग्जीबिशन ‘ब्लूमिंग थार’ में सजीं प्रदेश के 32 नामी कलाकारों की कलाकृतियां

art exhibition 'Blooming Thar': चित्रों और मूर्तिशिल्पों की कलात्मक अभिव्यक्ति से खिलखिलाया रंगों भरा राजस्थान

art exhibition 'Blooming Thar': आर्ट एग्जीबिशन ‘ब्लूमिंग थार’ में सजीं प्रदेश के 32 नामी कलाकारों की कलाकृतियां

Ananya soch: art exhibition 'Blooming Thar'

अनन्य सोच। art exhibition Blooming Thar: शहर का कला फलक गुरुवार को राजस्थान के अनेक नामी युवा और वरिष्ठ कलाकारों की कलाकृतियों से रोशन रहा. मौका था निर्माण नगर स्थित जयपुर सैंटर ऑफ कल्चर एंड आर्ट्स में आयोजित एग्जीबिशन ‘ब्लूमिंग थार’ के उद्घाटन का।

बड़ी संख्या में चित्रकारों, मूर्तिकारों और कला प्रेमियों की उपस्थिति में जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत, राजस्थान ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास, वरिष्ठ चित्रकार डॉ. विद्यासागर उपाध्याय और जाने-माने फोटो आर्टिस्ट सुधीर कासलीवाल ने दीप प्रज्जवलित कर इसका उद्घाटन किया. लगभग 90 दिन के रंगों के इस कारवां में समकालीन कला केेे 32 चितेरों की 200 कलाकृतियां अलग अलग अंदाज में कलाप्रेमियों आकर्षित कर रही हैं.

उत्सव के संयोजक मोनिका शारदा और डॉ. तरूण शारदा ने बताया कि चूंकि रंगों और रूपाकारों केे इस उत्सव में राजस्थान के कलाकारों की कला प्रदर्शित की गई है इसलिए उन्होंने इसे ‘ब्लूमिंग थार: ए वीजुअल जर्नी ऑफ राजस्थान’ नाम दिया है.

-ब्लूमिंग थार में इन 32 कलाकारों की है अपनी मौलिक शैली

प्रदेश केे नामी कलाकार राम जायसवाल, शैल चोयल, डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, लक्ष्मण व्यास, डॉ. जगमोहन माथोड़िया, अशोक हाजरा, अब्बास बाटलीवाल, मीनू श्रीवास्तव, डॉ. नाथू लाल वर्मा, शब्बीर हसन काजी, धर्मेन्द्र राठौड़, मनीष शर्मा, मोनिका शारदा, विनय शर्मा, अमिता राज गोयल, आशीष श्रृंगी, अशोक गौड़, सी.पी. चौधरी, धर्मेन्द्र राठौड़, दिलीप शर्मा, दीपिका हाजरा, गौरी शंकर सोनी, हरि राम कुम्भावत, ललित शर्मा, महावीर स्वामी, मालचंद पारीक, मनीष शर्मा, सोहन जाखड़, सुब्रतो मंडल, सुनीत घिल्डियाल, सुरजीत चोयल, सुशील निम्बार्क, और विजय शर्मा ऐसे चितेरे हैं जिन्होंने अपनी अपनी मौलिक शैली से देशभर में खासी पहचान कायम की है.

-दिमागी हलचल को दिया चित्र रूप

डॉ. विद्यासागर उपाध्याय की बनाई 12 पेंटिंग्स यहां प्रदर्शित की गई हैं. विद्यासागर बताते हैं कि चित्र बनाने के लिए उनकी कोई पूर्व योजना नहीं होती है, काम करते समय दिमाग में जो हलचल होती है उसे वो कैनवास पर उंगलियों के माध्यम से रंग फैलाकार मूर्त रूप देते चले जाते हैं और जब कैनवास से उंगलियां हटती हैं तब वहां पर चित्र आकृति जीवंत हो जाती है.

यहां प्रदर्शित सभी 12 पेंटिंग्स में उनकी ऐसी ही माइंड स्कैपिंग देखी जा सकती है. 

-मूर्तिशिल्प में दर्शाई नारी शक्ति

राजस्थान ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास ने यहां ब्रांज से बनाए दो स्कल्पचर प्रदर्शित किए हैं. इन स्कल्पचर्स में महिलाओं की आकृतियां देखने योग्य हैं. लक्ष्मण व्यास ने बताया कि उन्होंने महिलाओं के इन स्कल्पचर्स के माध्यम से नारी शक्ति का संदेश देने का प्रयास किया है.

प्रेमचंद की कहानी से प्रेरित माथोड़िया की पेन्टिंग

डॉग्स पर पांच हजार से अधिक पेन्टिंग बनाकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने वाले डॉ. जगमोहन माथोड़िया की बनाई पांच पेन्टिंग्स यहां प्रदर्शित हैं. इनमें से चार पेन्टिंग्स में उन्होंने एक्रेलिक रंगों के माध्यम से बर्ड्स की सीरीज को चित्रित किया वहीं उन्होंने एक पेन्टिंग मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की एक रात’ शीर्षक से प्रेरित होकर बनाई है, जिसमें उनकी पेंटिंग्स का मैटाफर बन चुका डॉग पूस की ठंड भरी रात में एक मंच पर रजाई ओढ़कर बैठा है और उसके इर्द-गिर्द सैकड़ों डॉग इस तरह खड़े हैं मानों अपने स्वामी की पहरेदारी कर रहे हों.

-पक्षी के घौंसले को दिया सुरक्षा का घेरा

विनय शर्मा ने पेपर पल्प से एक पक्षी का घौंसला बनाकर उसके चारों तरफ पेपर पल्प का घेरा बनाकर उसे सुरक्षा प्रदान की है. विनय का कहना है कि आज के माहौल में व्यक्ति हो या पक्षी सभी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, इसी मनःस्थिति से प्रेरित होकर उन्होंने इस तरह की रचना की है. इसके अलावा उन्होंने नष्ट होती हमारी संस्कृति की तरफ इशारा करते हुए हस्तलिखित ग्रन्थों, पुरानी जन्म कुडलियों और बहियों के पन्नों के पल्प से भी आकर्षक रचनाएं बनाई हैं जिनमें हमारी संस्कृति के ये तीनों चिन्ह आधे अधूरे रूप में नजर आ रहे हैं.

-वेस्ट मैटल से बनाए मुखौटे

वरिष्ठ चित्रकार डॉ. भवानी शंकर शर्मा ने भी यहां नए अंदाज में अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को मूर्त रूप दिया है. उन्होंने वेस्ट मैटल और मैटल स्क्रेप से तरह तरह के मुखौटे बनाए हैं। इन मुखौटों की कलात्मकता देखने योग्य हैं.

-इनकी कलाकृतियां भी हैं देखने योग्य

एग्जीबिशन मेें वरिष्ठ चित्रकार शब्बीर हसन क़ाज़ी के कैनवास पर रंगों की हलचल कुछ इस अंदाज़ में उभरकर आई है जैसे पानी में दर्जनों मछलियां चहलकदमी कर रही हों, डॉ. नाथू लाल वर्मा की ब्लैक एंड व्हाइट पेंटिंग मेें दो बैलों का घमासान उनकी की शक्ति और उर्जा को दर्शा रही है, दीपिका हाजरा की पेंटिंग में नारी और मोर का सौंदर्य दखने योग्य है, सुनील निम्बार्क की पेटिंग में डेली लाइफ के नजारे वहीं उदयपुर के ललित शर्मा की पेन्टिंग्स में पौराणिक परिवेश और उस समय का वास्तुशिल्प चित्रित है जिसमें झरोखे, किलों, पेड़ पौधों के बीच अठखेलियां करते राधा कृष्ण के रूपाकार खास हैं. सोहन जाखड़ ने इस बार गलियों में चक्कर लगाने वाले खिलौने वाले और एक महिला के बैग बुटीक को कलात्मक अंदाज में चित्रित किया है. दिलीप शर्मा ने दक्षिण भारत की नृत्य शैलियों को अपने सृजन का माध्यम बनाया है.