Jayarangam 2023: नाटकों ने दिए संदेश, संवाद से मिले सूत्र, म्यूजिकल कॉन्सर्ट में सुकून

Jayarangam 2023: चाणक्य की नीतियां केवल राजनीतिक बदलाव ही नहीं आमजीवन को भी बेहतर बनाने में कारगर है. जयरंगम के रंग संवाद में 'चाणक्य नीति और आप' विषय पर विचार रखते हुए वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अतुल सत्य कौशिक ने यह बात कही.

Jayarangam 2023: नाटकों ने दिए संदेश, संवाद से मिले सूत्र, म्यूजिकल कॉन्सर्ट में सुकून

Ananya soch: Jayarangam 2023

अनन्य सोच, जयपुर। Jayarangam 2023:  थ्री एम डॉट बैंड थिएटर फैमिली सोसाइटी (Three M's Dot Band Theater Family Society) की ओर से कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान (Department of Art and Culture, Rajasthan) और जवाहर कला केन्द्र (jawahar kala kendra) के सहयोग से आयोजित जयपुर रंग महोत्सव का सोमवार को दूसरा दिन रहा. लीला और स्मृति शेष नाटक के जरिए जहां अलग-अलग संदेश मंच के माध्यम से प्रेषित हुए. वहीं अतुल सत्य कौशिक की मास्टर क्लास में चाणक्य नीति के सूत्र आमजन तक पहुंचे. म्यूजिकल कॉन्सर्ट द्वापर नाद में सुरों के शाम सजी. मंगलवार को दोपहर 12 बजे कृष्णायन में मैजिक फ्रूट नाटक होगा, दोपहर 2 बजे संवाद प्रवाह में  'हबीब तनवीर और उनका रंगमंच' विषय पर हबीब तनवीर के शिष्य रहे वरिष्ठ रंगकर्मी रामचंद्र सिंह और समीक्षक व आलोचक अजित राय चर्चा करेंगे. रंगायन में सायं 4 बजे, 'गांव के नाऊ थिएटर, मोर नाऊ हबीब' डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग होगी. सायं 7 बजे मध्यवर्ती में हबीब तनवीर निर्देशित नाटक चरणदास चोर होगा. 

-मैं चूल्हे की आग...

'मैं चूल्हे की आग की तरह हूं जो रोज जलती है रोज बुझती है', नाटक की नायिका आवली की यह पीड़ा ही नाटक 'लाली' का सार है. जयरंगम की पहल स्पॉटलाइट के अंतर्गत युवा निर्देशक कृष्णा विलास वाल्के के निर्देशन में कृष्णायन सभागार में लाली का मंचन हुआ. नायक किसना अपनी भैंस लाली के गुम जाने पर विकल है और उसे ढूंढ़ने इधर-उधर भटकता रहता है. लाली के प्रति उसका लगाव मनुष्य और जीवों के बीच प्रेम की अमृत धार की तरह है लेकिन आवली को यह विष समान लगती है. आवली जो किसना को बेहद प्यार करती है लेकिन किसना  को लाली की ही चिंता है. आवली भी उसके साथ चल देती है, इसी बीच वह किसना को अपने मन की बात बताती है.

साथ ही वह जाहिर करती है अपनी परेशानियां कि मां के प्रेम से वह वंचित है, शराब के नशे में चूर उसका पिता उसकी मर्जी के खिलाफ उसका विवाह करना चाहता है. अंत में किसना को आवली के प्रेम का एहसास होता है. नाटक में दर्शाया गया कि इंसान अक्सर उसके पीछे भागता है जो खो गया है जो प्राप्त है उसे वह तवज्जो नहीं देता है. मराठी में मंचित नाटक ने भाषाई सीमा को तोड़कर निर्देशन और अभिनय के बल पर दर्शकों के दिलों में जगह बनायी. सांकेत जगदाले, रेणुका ठाकले, प्रतीक अंडुरे और कृष्णा विलास वाल्के ने विभिन्न किरदार निभाए. वहीं पवन ने प्रकाश संयोजन तो अथर्व धर्माधिकारी ने मंच सज्जा संभाली. नाटक ने महाराष्ट्र में कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं. 

-'चाणक्य के सूत्रों से मिले बेहतर जीवन के मंत्र'

'हर कहानी के दो ही आधार होते है अभाव या अपमान, घनानंद ने चाणक्य का अपमान किया तो चाणक्य ने सत्ता पलटकर चंद्रगुप्त को पाटलिपुत्र की गद्दी पर बिठा दिया. चाणक्य की नीतियां केवल राजनीतिक बदलाव ही नहीं आमजीवन को भी बेहतर बनाने में कारगर है. जयरंगम के रंग संवाद में 'चाणक्य नीति और आप' विषय पर विचार रखते हुए वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अतुल सत्य कौशिक ने यह बात कही. यह एक मास्टर क्लास रहीं जिससे हर किसी ने जुड़ाव महसूस किया. कौशिक ने बताया कि हमने चाणक्य को पिछले सौ सालों से पढ़ना शुरू किया है, हजारों साल पहले चाणक्य ने जो बातें अपनी पुस्तकों में लिखी वो आज भी प्रासंगिक है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चाणक्य हमसे कितना आगे थे. उन्होंने चाणक्य के जीवन के विभिन्न दृष्टांतों को बताते हुए कुछ सीख भी श्रोताओं तक पहुंचाने की कोशिश की. अहंकार नहीं करना चाहिए, मजबूत संकल्प शक्ति, समस्याओं का समूल नाश करना चाहिए, सत संगती होनी चाहिए चाणक्य के सूत्रों के जरिए यह मंत्र श्रोताओं ने आत्मसात किए. 

-वह जीवन जो स्मृतियां में है शेष

इतिहास, संस्कृति और परंपरा को संजोती थी कहानियां, कितनी सादगी और कितना अपनापन था, दादी और नानी कितना प्यार करती थीथी. यह सब अब स्मृतियों में शेष है. फिर आया आल इंडिया रेडियो का दौर. रेडियो पर गीत सुनते-सुनते गुजरता था दिन. टीवी आया तो पूरा मोहल्ला साथ देखता था रामायण और महाभारत. फिल्में जब टीवी के जरिए घर-घर तक पहुंची तो ना जाने कितने नौजवानों ने मन ने सपने बुने हीरो बनने के। अब ये बीते दौर की बातें है. जिस सिर को उठाकर हम कहानियां सुनते थे वह सिर मोबाइल पर रील देखने के लिए झुक गए है. इन भावों को मंच पर साकार किया गया नाटक 'स्मृति शेष' में. रंगायन में मूमल तंवर के निर्देशन में राजस्थान कॉलेज के थिएटर डिपार्टमेंट के छात्रों में यह नाटक किया. नाटक में दादी नानी के दौर से लेकर वर्तमान परिप्रेक्ष्य का जीवंत चित्रण किया गया. पहले नाटक ने जहां भाव विभोर किया. वहीं मध्य में अभिनेताओं ने दर्शक को खूब हंसाया, जीवन की तरह नाटक में मोबाइल की एंट्री होने पर उदासीनता छा गयी और इसी के साथ नाटक का समापन हुआ. खास बात यह रही की नाटक में पुरुषों ने महिलाओं के पात्र बखूबी अदा किए. 

-मध्यवर्ती में सुरीला द्वापर नाद

शाम ढलने लगी पर कला प्रेमियों का जोश कहां कम होने वाला था. मध्यवर्ती में श्रोता जुटने लगे म्यूजिकल कॉन्सर्ट 'द्वापर नाद' का हिस्सा बनने के लिए. अतुल सत्य कौशिक के निर्देशन में हुए इस कॉन्सर्ट में श्रोता कलाकारों की मधुर आवाज के साथ निकले सुरीले सफर पर. अपने नाम को चरितार्थ करता कॉन्सर्ट में महाभारत के प्रसंगों को गीतों, कव्वालियों, दोहों और श्लोकों के साथ बयां किया गया. राजस्थान में पहली बार यह शो जयरंगम में हुआ. इसमें श्रोताओं ने जो गीत सुने वह अतुल सत्य कौशिक के भावों का प्रतिरूप रहे. आमोद भट्ट ने संगीत निर्देशन किया। मशहूर गायिका लतिका जैन ने अपनी सुरीली आवाज से समां बांधा. 'वो रथ भी है, वो रथ पर भी, वो ही रथ के चालक भी है,  वो कौरव भी वह पांडव भी वह स्वयं सकल महाभारत है. गीत में श्री कृष्ण के विराट स्वरूप का वर्णन किया गया. 'खुद ही खुद को श्याम बुलाऊं, खुद ही रूठु, खुद ही मनाऊं, खुद मिलने का वादा करके श्याम की तरह खुद ना आऊं' में शृंगार रस छलका. 'कृष्ण का अगर सहारा ना होता, कर्ण अर्जुन से हारा नार होता' सरीखे गीतों से महाभारत के प्रसंग साकार हुए. तबला, बांसुरी, ऑक्टोपैड, हारमोनियम, की-बोर्ड के संगत के साथ प्रस्तुति और भी खास बन गयी. हीना जोहरा, मौली बानिक, सुभाश्री भट्ट, अजय जयराम, राजीव प्रसन्ना, सुरेन्द्र, यश ने संगत की.