ICA Residency: आईसीए रेजीडेंसी में दिल्ली, पुणे, लखनऊ और भोपाल से शामिल हुए आर्टिस्ट
शहर की 10 दिवसीय आर्ट वर्कशॉप में 6 महिला आर्टिस्ट्स ने लिया हिस्सा लुप्त होती शैलियों के साथ कैनवास पर दिखे प्रकृति, प्रेम और बचपन के अनूठे रंग
Ananya soch: ICA Residency
अनन्य सोच। ICA Residency: गर्मियों की छुट्टी, आम की क्यारियां और सुकून भरी नींद, कुछ ऐसी ही बचपन की यादें कैनवास पर रंगों से सजी दिखी. मौका था आईसीए रेजीडेंसी में आयोजित हुई लाइव पेंटिंग वर्कशॉप का, जिसमें दिल्ली, पुणे, लखनऊ और भोपाल से 6 महिला आर्टिस्ट्स ने गुलाबी नगरी में मानसून का लुफ्त उठाते हुए अपने भावनाओं को कैनवास पर उकेरा.
इस दौरान आईसीए रेजीडेंसी से अभिनव बंसल और क्यूरेटर हेम राणा ने बताया की 10 दिवसीय वर्कशॉप में हमने भारत के अलग-अलग कोनों से आर्टिस्ट्स को आमंत्रित किया है. राजस्थान में पहली बार हो रही इस तरह की रेजीडेंसी वर्कशॉप्स में आमंत्रित हो रहे दुनियाभर से आए आर्टिस्ट्स को अपनी शैलियों का सजीव प्रदर्शन करने का मौका मिलता है. सभी आर्टिस्ट्स क्षेत्रीय और भारत की लुप्त होती जा रही शैलियों को पुनःजीवित करने हुए जयपुर के यंग आर्टिस्ट्स को भी कला की बारीकियां प्रदान करते है.
सुकून की तलाश, एआई फ्यूचर और नेचर को किया प्रदर्शित -
वर्कशॉप में भोपाल से आर्टिस्ट कुसुम लता ने प्रतीकात्मक और अमूर्त शैलियों के फ्यूज़न के साथ अपनी कलाकृति तैयार की. उनके द्वारा तैयार की गई दो पेंटिंग्स में उन्होंने मनुष्य, जीवन और श्रिष्टि के आपसी ताल-मेल और अनदेखे धागों को प्रदर्शित किया. जिसमें उन्होंने ऐक्रेलिक कलर्स के साथ इंक और पस्टेल के मेल से रिश्तों के ताने-बाने दर्शाये.
वहीं लखनऊ से आर्टिस्ट तरन्नुम ने अपनी कलाकृतियों में सुकून की तलाश को सिंबॉलिक तौर पर दिखाया. जहां उन्होंने अपनी एक कला को कच्ची मिटटी के रंगों से तराशा वहीं दूसरी कलाकृति को पकी हुई मिटटी का रंग दिया. कैनवास पर फ्लैट कलर्स के स्ट्रोक्स के साथ उन्होंने ब्रश से बारीक़ काम में आध्यात्मिक, सांसारिक और विचारत्मक भाव दिखाए. पुणे से आर्टिस्ट स्मृति जोशी ने मिक्स मीडिया के जरिए एआई और मनुष्य के बीच की कश्मकश को प्रस्तुत किया. जहां उन्होंने टेक्नोलॉजी, रोबोट्स, ह्यूमन ब्रेन और साइंस पर कटाक्ष करते हुए अब्स्ट्रक्ट आर्ट फॉर्म प्रदर्शित किया.
रविंद्र नाथ टैगोर के घर से मिली कला की प्रेरणा -
30 साल से कला की अनुभवी दिल्ली की आर्टिस्ट चांदना भटाचार्य ने बताया कि पिता आर्मी में थे और उनकी कला और साहित्य की रूचि ने मुझे कलाकार बनने के लिए प्रेरित किया.
बचपन कोलकाता में बिता और पास का घर ही रविंद्र नाथ टैगोर का था, उनके घर में होने वाले कला के कार्यक्रमों को देख मुझ में भी कलाकार बनने का जूनून आया. वर्कशॉप में तैयार की गई पेंटिंग्स में मैंने प्रकृति को सहजने का सन्देश दिया. जिसके लिए मैंने वाश पेंटिंग शैली को कैनवास पर दर्शाया. साथ ही दिल्ली से आई आर्टिस्ट अंजुम ने बताया कि पिता को कला में खासा दिलचस्पी थी जिसके चलते उन्हें कला के क्षेत्र में आने का मौका मिला. हमेशा से महिला सब्जेक्ट में आर्ट कर रही अंजुम ने इस वर्कशॉप के लिए प्रेम को अपना थीम चुना, जिसमें उन्होंने कृष्ण की छवि को प्रेम के प्रतीत के रूप में दिखाया.
साथ ही क्ले को गुलाब का आकार देते हुए फंगस की लेयर का रूप दिया। वहीं दिल्ली की ही आर्टिस्ट मीणा लैशराम ने अपनी दो पेंटिंग्स में बचपन की यादें ताज़ा की, जिसमें उन्होंने अपनी बहन के साथ बिताएं दिनों को खूबसूरती से कैनवास पर प्रस्तुत किया. कर्वी फाइन लाइन्स से किए गए बारीक काम से उन्होंने गर्मियों की छुट्टियां, सुकून की नींद और दोस्ती को शानदार रंगों के समावेश से सजाया.