Lily Ke Phool natak: नाटक लिली के फूल में नजर आया प्रेम-युद्ध
रंग राजस्थान के सातवें दिन हुआ चार नाटकों का मंचन – बाप रे बाप में दिखा आधुनिकता में एक परंपरागत बाप का दर्जा, वहि भीड़ भरा एकांत में इनर सेल्फ की कहानी देखी – कथा गायन वाचन के संगम की प्रस्तुति बड़ा भांड
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Ananya soch: Lily Ke Phool natak
अनन्य सोच। Jawahar Kala Kendra और Rajasthan International Centre में चल रहे दस दिवसीय थियेटर महोत्सव रंग राजस्थान (Theatre Festival Rang Rajasthan news) के 7वें दिन शनिवार को 4 नाटकों का मंचन और कहानी सत्र हुए. कार्यक्रम के दौरान फेस्टिवल के फाउंडर डायरेक्टर अभिषेक मुद्गल ने अपनी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय तक के पहुंचना का सफर कहानी के माध्यम से सुनाया और आरएस शिप्रा ने अपनी कहानी मोर मोरनी श्रोताओं के सामने प्रस्तुत की. वहीं नाटकों में सबसे पहले Jawahar Kala Kendra के कृष्णायन सभागार में भीलवाड़ा की रसधारा संस्था के गोपाल आचार्य द्वारा निर्देशित नाटक भीड़ भरा एकांत का मंचन हुआ। एक सुगबुगाहट है जिसकी कोई कहानी नहीं है किन्तु उसे किसी भी कहानी का लिबास पहनाया जा सकता है. अभी या फिर कभी के बीच यों ही यात्रा करते करते भीड़ में खोये एकांत की अमूर्तता को स्पर्श करने की चेष्टा है. इस नाटक में जिंदगी और अंतर्मन को बड़े अनोखे तरीके से दिखाया गया है.
Jawahar Kala Kendra के रंगायन सभागार में अभिषेक विजय द्वारा निर्देशित नाटक लिली के फूल का मंचन किया गया, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ दृश्य दिखाए गए और एक प्रेम की कहानी को दर्शाया गया. एक लड़का जो एक लड़की को प्यार के वादे करता है लेकिन युद्ध की वजह से भूल जाता है और खुद भी युद्ध करने के लिए निकल जाता है. जहां वो अपनी प्रेमिका से मिलता है. इसके बाद शाम 7 बजे से Jawahar Kala Kendra में धीरज भटनागर द्वारा निर्देशित नाटक बाप रे बाप का मंचन हुआ. नाटक हास्य और व्यंग से भरपूर था नाटक एक ऐसे व्यक्ति की कहानी पर आधारित था जो एक बाप है और उसके घर में उसका दर्जा बिल्कुल पुराने बर्तन की तरह है. नाटक ने दर्शकों को खूब हंसाया. वहीं राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में अजय कुमार द्वारा बड़ा भांड का मंचन किया गया. जिसमें नाटक की तीन विधाएं देखने को मिली. नाटक कथा गायन वाचन का संगम था. इस संगीतमय प्रस्तुति ने दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया.