शहर के पचास युवा चित्रकार जीवंत करेंगे फिगरेटिव कला के विविध रूप

शहर के पचास युवा चित्रकार जीवंत करेंगे फिगरेटिव कला के विविध रूप

अनन्य सोच,जयपुर। जल महल के पास स्थित पद्मश्री रामगोपाल विजयवर्गीय म्यूज़ियम की ओर मंगलवार को तीन दिवसीय आर्ट कैंप की शुरूआत की गई। सुपरिचित साहित्यकार प्रबोध गोविल और वरिष्ठ पत्रकार व चित्रकार विनोद भारद्वाज ने स्व. रामगोपाल विजयवर्गीय के चित्र पर माल्यार्पण कर कैंप का शुभारंभ किया। इस तीन दिवसीय कैंप में शहर के पचास युवा चित्रकार तीन दिन तक फिगरेटिव कला के विविध रूपों का चित्रण करेंगे। कैंप में बनी कलाकृतियों में से चयनित तीन कृतियों को म्यूजियम की ओर से 4 मई को आयोजित किए जाने वाले समापन समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा।

रामगोपाल विजयवर्गीय एक संक्षिप्त परिचय

पद्मश्री से सम्मानित कला गुरू रामगोपाल विजयवर्गीय का जन्म ग्राम बालेर में 1905 में हुआ था। यथार्थवादी चित्रकला के क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग ही शैली स्थापित कर खासी पहचान कायम की थी। वो एक अच्छे कवि और लेखक भी थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत से ग्रंथों पर चित्र बनाए थे, उनका सबसे चर्चित विषय मेघदूत रहा। मेघदूत कालिदास रचित एक दूत काव्य है जिसमें यक्ष और यक्षिणी की प्रेम कहानी है। इसे वे मेघों को अपना दूत बनाकर संदेश भेजा करते थे। विजयवर्गीय के चित्रों ने इन पात्रों को जीवंत कर दिया और इनकी सुंदरता आज भी देखते ही बनती है।