श्रोताओं से रूबरू हुए तबला वादक डॉ.अंकित पारीक

श्रोताओं से रूबरू हुए तबला वादक डॉ.अंकित पारीक

अनन्य सोच, जयपुर। राजस्थान फोरम की चतुरंग ऑनलाइन श्रृंखला में इस बार श्रोताओं से तबला वादक डॉ.अंकित पारीक रूबरू हुए।  डॉ.अंकित पारीक ने अपने एकल तबला वादन की शुरुआत तीनताल में हनुमान स्तुति से की, जिसमें उनके साथ अशोक जांगिड़ ने हारमोनियम पर संगत दी। उसके बाद अंकित ने  तबले के साथ ताल के कई रंग बिखेरते हुए  विलंबित तीन ताल  के अंतर्गत उठान ,पेशकार अजराड़ा घराना का कायदा और  फर्रुखाबाद घराने  के  कायदा को प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने लयकारी एवं बोलों की स्पष्टता को दिखाया। 

इसी कड़ी में ताल ,तीनताल ,मध्य लय के अंतर्गत कुछ फरमाइशी बंदिशें , तिपल्ली को प्रदर्शित किया। अंत में द्रुत तीनताल में  फर्रुखाबाद घराने  की गत , हिरण की उछाल  पर आधारित गत , दोहरा , अनाघात , कुछ परणें प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। तबला वादन का समापन  तीन ताल में  अठगुन द्वारा बाएं और दाएं के सवाल-जवाब और चकरदार तिहाई से किया।

कार्यक्रम की शुरुआत से पहले राजस्थान फोरम की सदस्य ध्रुवपद गुरु डॉ.मधु भट्ट तैलंग ने अंकित पारीक का परिचय देते हुए सभी श्रोताओं का अभिनंदन किया।