सुर संगम प्रतियोगिता का एक लाख का प्रथम पुरस्कार मिला वाराणसी के ईशान घोष को
33वें राष्ट्रीय युवा समारोह के अन्तिम दिन दिए गए अनेक नकद इनाम
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अनन्य सोच, जयपुर। सुर संगम संस्थान और जवाहर कला केंद्र की ओर से कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित किए जा रहे 33वें राष्ट्रीय युवा संगीत समारोह के तीसरे और अन्तिम दिन विभिन्न विधाओं में अव्वल रहे युवा सुर साधकों ने अपने हुनर का जमकर प्रदर्शन किया और निर्णायकों पद्मश्री पिनाज़ मसानी, बॉलीवुड म्यूज़िक कंपोज़ और सिंगर दीपक पंडित, डॉ. अनुराधा प्रकाश और डॉ. मधु भट्ट तैलंग के सामने कड़ी प्रतिस्पर्धा का माहौल बना दिया। मेगा फाइनल के बाद सुर संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.सी. मालू ने पुरस्कारों की घोषणा की। गायन के सभी रूपो में अपना कौशल दिखाकर निर्णयकों को प्रभावित करने वाले वाराणसी के ईशान घोष ने इस साल सुर संगम का एक लाख रूपए का प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।
लोक संगीत का पहला निर्मल तारा सेठिया पच्चीस हजार का पुरस्कार नोहर हनुमानगढ़ के दुर्जाना गांव की रुखसाना को मिला और दूसरा माणक बाफना दस हजार का पुरस्कार रीवा की कल्याणी मिश्रा को मिला।
सेमी क्लासिकल में पच्चीस हजार का पहला निर्मल तारा सेठिया पुरस्कार कटनी की स्तुति खामपुरिया, दस हजार रूपए का दूसरा माणक बाफना पुरस्कार वाराणसी के अक्षत प्रताप सिंह को मिला। सुगम संगीत में पच्चीस हजार का पहला निर्मल तारा पुरस्कार आगरा की प्रियंका सेहवान को मिला। सुगम संगीत में दस-दस हजार के दो द्वितीय पुरस्कार आगरा की ओस सतसंगी और जयपुर के अखिल सोनी को दिये गए I
शास्त्रीय गायन का पहला निर्मला तारा सेठिया पुरस्कार जयपुर के हुल्लास पुरोहित को मिला। जयपुर के अक्षय निरंकारी और बनारस की आध्या मुखर्जी को दस-दस हजार रूपए के माणक बाफना द्वितीय पुरस्कार दिए गए।
इन पुरस्कारों के अतिरिक्त ध्रुवपद गायिका डॉ मधु भट्ट तैलंग ने अपने पिता ध्रुवपद मार्तंड पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग की तरफ से प्रतियोगिता में एक मात्र ध्रुवपद विधा में प्रस्तुति देने वाले इक्कीस सौ का पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने यह पुरस्कार ध्रुपद गायन की प्रस्तुति देने वाले प्रतियोगी वाराणसी के ईशान घोष को तथा निर्णायक अनुराधा प्रकाश ने एक पुरस्कार अपनी माता की याद में मीना गुर्जर को दिया।
इससे पूर्व प्रतियोगियों को संबोधित करते हुए पिनाज़ मसानी ने कहा कि हमें गाना गाने के साथ साथ अच्छा गाना सुनना भी बहुत जरूरी हैं और साथ में जरूरी है अच्छे लोगों की सोहबत। उन्होंने कहा कि सिर्फ अपने घरानें को ही ना सुनें, सभी घरानें और उनके गुरुओं को भी सुनें। उन्होंने खुशी जाहिर की ये बताते हुए कि मैं इतने सालों से सुर संगम से जुड़ी हुई हूं । यह ऐसी संस्था है जिसमें कोई ग्लैमर नहीं हैं बल्कि सिर्फ और सिर्फ कला और संस्कृति की झलक नजर आती है।
सुर संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.सी. मालू ने कहा कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य सिर्फ एक प्रतियोगिता तक ही नहीं है इसका उद्देश्य है सद्भाव, प्रेम और भाईचारा बढ़ाना। कौन जीता कौन हारा यह अलग बात हैं पर मुझे खुशी हुई जब देखा मंच पर प्रतियोगी एक दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हैं और हौसला बढ़ा रहे हैं।
सभी प्रतियोगियों को संगीत के टिप्स देते हुए वॉयलिन वादक दीपक पंडित ने कहा कि हार- जीत नहीं आपका काम बोलता हैं, अच्छा गुरु बनाएं और सही दिशा में रियाज़ करें तो मंजिल हासिल हो ही जाएगी।