नाटक हिन्द स्वराज ने दिया सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारा, सद्भावना का संदेश

नाटक हिन्द स्वराज ने दिया सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारा, सद्भावना का संदेश

अनन्य सोच. रवींद्र मंच की स्थापना के 60 साल पूर्ण पर मनाई जा रही हीरक जयंती के अवसर पर कला, साहित्य संस्कृति एवं  पुरातत्व विभाग राज. सरकार एवं रवींद्र मंच द्वारा टैगोर योजना के अंतर्गत इन्डियन  पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा,)जयपुर  की ओर से हिन्द स्वराज नाटक का मंचन मंच के स्टूडियो थियेटर में हुआ. राजेश कुमार द्वारा नाट्य रूपांतरित इस नाटक की मूल रचना  मोहनदास करमचंद गांधी की है, जिसका निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी संजय विद्रोही  ने किया. नाटक में गांधी जीवन पर वृत, परस्पर संबंध व  गांधी विचारधारा को दिखाने का प्रयास किया है. नाटक में आज के दौर में विचार सबसे बड़ा संकट को रेखांकित किया हैं. स्वंत्रता का अर्थ सिर्फ सत्ता का परिवर्तन नहीं बल्कि उस जीवन पद्धति का परिवर्तन है जो हम  उस शासन के दरम्यान देख रहे थे   गांधी इसलिए बार बार अंग्रेजी सभ्यता हटाने की, उसे छोड़ने की बात करते हैं. आज सबसे बड़ा  संकट विचार का हैं वर्तमान राजनैतिक,  सांस्कृतिक, साहित्यिक परिदृश्य में  विचार ही लुप्त हो रहे हैं.


नाटक में यह बताया है की गांधी ने जिस आजाद भारत का सपना हिन्द स्वराज में देखा, क्या हमने वह आजादी प्राप्त की...? सिर्फ गोरे शासक बदले, और काले शासक आ गए, बस इतनी सी आजादी वर्तमान तक मिली है. पूरे नाटक में निर्देशक ने गांधी की इस दृष्टि को बताने की कोशिश की है. आज यह कैसी विडम्बना है कि इस हिंदुस्तान की युवा पीढ़ी गांधी के नाम से तो परिचित है, लेकिन गांधी दृष्टि से अपरिचित है. इस नाटक में सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारा, सद्भावना ,और सत्याग्रह  के चिंतन को समझने के लिए प्रेरित करता है. साथ ही यह प्रस्तुति समाज में गांधी दृष्टि को प्रतिष्ठित करने की कोशिश करता है. इस नाटक में युवा कलाकार ऋतिक शर्मा ने गांधी और जिज्ञासु का किरदार गौरव गौतम ने बेखूबी से निभाया है. मंच पार्श्व में संगीत परिकल्पना विशाल बैरवा और  तकनीकी प्रभारी राहुल भाटी ने संभाली है.