राग जनसम्मोहिनी और "कान्हड़ा के रंग सुरों के संग" प्रस्तुतियों ने रचा सुरमयी परिवेश

राग जनसम्मोहिनी और "कान्हड़ा के रंग सुरों के संग" प्रस्तुतियों ने रचा सुरमयी परिवेश पंडित विजय कोपरकर एवं शबाना डागर पंडित रघुनाथ तलेगांवकर जन्मशती सम्मान से सम्मानित उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद्र बैरवा व विधायक गोपाल शर्मा ने कलाकारों को किया सम्मानित रघुनाथान्जली संगीत समारोह में कलाकारों की अनुपम प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध

राग जनसम्मोहिनी और "कान्हड़ा के रंग सुरों के संग" प्रस्तुतियों ने रचा सुरमयी परिवेश

Ananya soch

अनन्य सोच। रघुनाथ तलेगावकर फाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र जयपर के संयुक्त तत्वावधान में रघुनाथान्जली - सुर सुगंध संगीत समारोह  में शुक्रवार की शाम कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. राजस्थान यूनिवर्सिटी केे मानविकी सभागार में आयोजित यह कार्यक्रम ग्वालिय घराने के पं केशव रघुनाथ तलेगावकर जी की जन्मशती व साहित्य संगीत समीक्षक डॉं. मुकेश गर्ग की स्मृति को समर्पित किया गया. मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री डा. प्रेम चंद्र बैरवा व विधायक गोपाल शर्मा द्वारा संगीत जगत में विशिष्ट कार्य हेतु पंडित विजय कोपरकर एवं संस्कृतिकर्मी सुश्री शबाना डागर को शॉल व सम्मान पत्र देकर रघुनाथ तलेगांवकर जन्मशती सम्मान से सम्मानित किया गया. 

पं. विजय कोपरकर ने दी विभिन्न राग रागिनियों की आकर्षक प्रस्तुति
 
समारोह का समापन पुणे से से आए अतिथि कलाकार पं. विजय कोपरकर के गायन से हुआ. उन्होंने राग पटदीप,हेमंत, नाट्य गीत, व भैरवी में सुश्राव्य शास्त्रीय गायन से संगीत रसिकों को आनंदित एवं मंत्रमुग्ध कर दिया. उनके साथ संवादिनी पर पं रविन्द्र तलेगावकर एवं तबले पर दिनेश खींची जी ने सुन्दर संगति कर कार्यक्रम को रोचक बना दिया. 

जनसम्मोहिनी राग में स्वरचित सरस्वती वंदना से हुई शुरूआत

इससे पूर्व समारोह की शुरूआत संगीत कला केन्द्र जयपुर के छात्र मेधांश,अभिनव,आशुतोष,हार्दिक द्वारा पं रघुनाथ तलेगावकर जी द्वारा स्वरचित राग जनसम्मोहिनी में निबद्ध सरस्वती वंदना से हुई. इस अवसर पर संगीत कला केन्द्र जयपुर के सुर साधकों द्वारा प्रदीप भारद्वाज द्वारा पंडित रघुनाथ तलेगांवकर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर रचित रघुनाथांजलि पर्व गीत की सुन्दर व कलात्मक प्रस्तुति दी गई  जिसकी स्वर रचना ड़ॉ. गिरिन्द्र तलेगावकर द्वारा की गयी. 

समवेत स्वरों मेें किया ‘कान्हड़ा के रंग सुरों के संग’ का गायन

कार्यक्रम की अगली कड़ी में तलेगांवकर रचित रचना कान्हड़ा के रंग सुरो के संग की समवेत स्वरों में प्रस्तुति दी गई. इस प्रस्तुति में कान्हड़ा अंग के रागों, त्रिवट एवं तराने की सुन्दर व कलात्मक प्रस्तुति सुनने योग्य थी जिसे उनके शिष्य उमा विजय,अंशु वर्मा,शिखा माथुर,आरोही, पियास,रोहित कटारिया,  भव्य, अविरल ने प्रस्तुत किया। अगले चरण में तनिश खंडवाल द्वारा वायलिन पर राग श्याम कल्याण की प्रस्तुति दी गई तबला संगत विनय खंडवाल ने की. 

इस अवसर पर पंडित जी की जीवन यात्रा को डिजिटल माध्यम से सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया. विशेष सहयोग देने वाले डॉ डेजी शर्मा एवं उत्कृष्ट मंच संचालन हेतु आर डी अग्रवाल, शुभ्रा तलेगांवकर, रविन्द्र तलेगांवकर,दिनेश खींची,विशिष्ट सहयोग हेतु उमा विजय,अंशु वर्मा व संस्था के छात्रों को भी मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया.