रंगकर्मियों ने अभिनय से चौथमल मास्साब  को जीवंत किया

रंगकर्मियों ने अभिनय से चौथमल मास्साब  को जीवंत किया

अनन्य सोच, जयपुर। सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम में रंगशिल्प की ओर से पंकज सुबीर की कहानी चौथमल मास्साब का मंचन किया गया।इस नाटक का निर्देशन युवा निर्देशक अनिल मारवाड़ी ने किया और इस कहानी का नाट्य रूपांतरण नीरज गोस्वामी ने किया। नाटक का संगीत पंडित आलोक भट्ट का और संगीत संयोजन और प्रोडक्शन गुरविंदर सिंह पुरी रोमी का रहा।

राजस्थानी लोकनाट्य शैली पर आधारित नाटक में दिखाया गया कि पेट की भूख से अधिक शारीरिक भूख के कारण मनुष्य सामाजिक मूल्यों को भी बिसरा जाता है। कहानी का ताना बाना एक स्कूल मास्टर के अपने गांव से दूसरे गांव में ट्रांसफर हो जाने के कारण वह अपनी पड़ोसन की ओर आकर्षित होने लगता हैं। वहीं पड़ोसन कम्मो सहज और निश्चल भाव से मास्टर जी को पिता तुल्य मानती है स्थितियों के बीच जो हास्य उत्पन्न हुआ है उससे दर्शक रोमांचित महसूस करते हैं और जब अंत में रहस्य खुलता है तो मास्टर साहब अपने को ठगा सा महसूस करते हैं।

राजस्थानी लोक संगीत का पुट होने के कारण नाटक के कथ्य को बल मिलता है। चौथमल मास्साब की मुख्य भूमिका में वरिष्ठ रंगकर्मी ईश्वर दत्त माथुर ने पात्र को बखूबी निभाया। उनका गायन और लोक नृत्य नाटक के अनुकूल रहा। लक्ष्मी की भूमिका में सरस्वती उपाध्याय, कम्मों की भूमिका में देवयानी सारस्वत , सरपंच की भूमिका में मनोज स्वामी और स्कूल के निरीक्षक की भूमिका में नीरज गोस्वामी ने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी। नाटक मैं मोइनुद्दीन खांन ,मनोज आडवाणी, रेनू सनाड्य,तपेश शर्मा, देवांग सोनी, सागर गढ़वाल, आध्या मिहिजा,कवितेश् और जीवतेश शर्मा ने भी अभिनय किया।
नाटक में सेट डिजाइन आलोक पारीक और मनीष योगी तथा प्रकाश परिकल्पना राजेंद्र शर्मा राजू की रही । ढोलक पर मोइनुद्दीन साबरी ने असरदार संगत से नाटक को गति दी।
सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम के सुरेश कौल ने दर्शकों का स्वागत करते हुए आश्रम की गतिविधियों और वहां के रहवासियों की जानकारी दी। अंत में उन्होंने सभी कलाकारों को स्मृति स्वरूप आश्रम में तैयार किए गए टेबल कवर भेंट किये।