Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा; सरोगेसी से बनी मां के लिए अवकाश को लेकर कानून बनाने का यह उचित समय
अनन्य सोच, जयपुर। Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार प्राकृतिक मां, जैविक मां और सरोगेसी से बनी मां के बीच अंतर नहीं कर सकती है. इनके बीच अंतर करना मां के मातृत्व का अपमान करना है. अदालत ने राज्य सरकार के 23 जून, 2020 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत सरोगेसी से बच्चा लेने वाली याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश के तहत 180 दिन का अवकाश दिया जाए. अदालत ने कहा कि सरोगेसी से बनी मां के लिए अवकाश को लेकर कानून बनाने का यह उचित समय है. ऐसे में आदेश की कॉपी कानून मंत्रालय व प्रमुख विधि सचिव को उचित कार्रवाई के लिए भेजी जाती है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश व्याख्याता चंदा केसवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मातृत्व अवकाश प्रदान करते समय न केवल स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार किया जाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए भी यह अवकाश दिया जाता है.