एआई की दुनिया में सफल होने के लिए, मानवता के साथ संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण - लेखक रवि बापना
पुस्तक “थ्राइव: मैक्सिमाइजिंग वेल-बीइंग इन द एज ऑफ एआई” का लॉन्च और ज्ञानवर्धक चर्चा - लेखक रवि बापना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बारीकियों पर चर्चा की
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Ananya soch: To succeed in the world of AI, it is important to maintain a balance with humanity - Author Ravi Bapna
अनन्य सोच। AI news: आज के समय में एआई हर किसी के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। यह हेल्थकेयर, शिक्षा, वर्कफोर्स और यहां तक कि प्यार तलाशने जैसे रोजमर्रा के जीवन के विभिन्न पहलुओं में प्रभावशाली साबित हो रहा है. लेकिन एक ऐसी दुनिया में जो एआई द्वारा आकार ले रही है, इसमें सफल होने के लिए मानवता के साथ संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है. यह बात यूनाइटेड स्टेट्स में कार्लसन स्कूल में बिजनेस एनालिटिक्स और आईएस के चेयर प्रोफेसर और लेखक रविन बापना ने अशोक क्लब में अपनी पुस्तक "थ्राइव: मैक्सिमाइजिंग वेल-बीइंग इन द एज ऑफ एआई" (The book "Thrive: Maximizing Well-Being in the Age of AI") के लॉन्च और चर्चा के दौरान कही. वे सिटी ब्लॉगर और पीआर प्रोफेशनल तुषारिका सिंह से संवाद कर रहे थे. रवि ने इस पुस्तक को अनिंद्य घोष के साथ मिलकर संयुक्त रूप से लिखा है.
आम जनता को संबोधित करने वाली यह पुस्तक लिखने के पीछे अपनी प्रेरणा के बारे में बात करते हुए, रवि ने बताया कि एआई के बारे में मीडिया की कहानी काफी हद तक नकारात्मक थी, जो बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, डेटा का गलत उपयोग और अन्य अस्तित्वगत जोखिमों पर केंद्रित थी. हालांकि, इस पुस्तक में नकारात्मक पक्ष भी मौजूद हैं, लेकिन लेखक ने इसे अधिक संतुलित रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जो यह दर्शाता है कि मनुष्य किस प्रकार अपनी मेंटल, इमोशनल और फिजिकल वेल-बीइंग को बढ़ा सकता है.
हेल्थकेयर पर एआई के प्रभाव के बारे में बात करते हुए, रवि ने बताया कि एडवांसड फिटनेस वियरेबल्स अब प्रेगनेंसी कोच के रूप में भी काम कर रहे हैं, इन्फेक्शन के बारे में पहले ही संकेत दे रहे और मातृ स्वास्थ्य सेवा में सुधार कर रहे हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में एआई सिर्फ सुविधा नहीं है; यह जीवन रक्षक उपकरण है.
वैश्विक एआई दौड़ में भारत की स्थिति पर चर्चा करते हुए, लेखक ने स्वीकार किया कि भारत में अभी तक अपनी भाषाओं के अनुरूप बड़े पैमाने पर डेटा ट्रेनिंग सेंटर्स नहीं हैं, लेकिन इसमें बदलाव आ रहा है. जल्द ही देश की भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए एक बहुभाषी (मल्टीलिंगुअल) मॉडल तैयार किया जाएगा.
शिक्षा क्षेत्र में चिंताओं के बारे में बात करते हुए, रवि ने बताया कि अगर सही तरीके से डिज़ाइन किया जाए, तो एआई शिक्षा में अच्छा प्रभाव ला सकता है. डायरेक्ट उत्तर देने के बजाय, एआई-आधारित ट्यूटर्स को छात्रों को सही सवाल पूछकर मार्गदर्शन करना चाहिए, जैसे एक प्रभावी शिक्षक करता है. सत्र का समापन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ। इससे पहले, इस अवसर पर पुस्तक का विमोचन लेखक रवि बापना, उषा बापना, अजय सिंघा और संचालक तुषारिका सिंह द्वारा किया गया.