शिल्पकारी की ओर से जयपुर क्लब में तीन दिवसीय 'विंटर वीव' प्रदर्शनी का हुआ आगाज़
राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित आर्टिजंस की कलात्मक सफर पर चर्चा 'किस्से बुनकरों के' रहा खास - एग्जीबिशन का समापन 29 दिसंबर, रविवार को शाम 7 बजे होगा
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Ananya soch
अनन्य सोच। गुजरात की भुजोड़ी की बुनाई से लेकर आंध्रप्रदेश की पेन कलमकारी के रंगों तक हर शिल्प रचनात्मकता, विरासत और देश के विभिन्न संस्कृतियों की कहानी बयां कर रहा था. मौका था शिल्पकारी की ओर से तीन दिवसीय 'विंटर वीव्स' एग्जीबिशन का. जयपुर क्लब में 27 दिसम्बर, शुक्रवार से शुरू हुई इस प्रदर्शनी में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड - कुमाऊं, हैदराबाद, तेलंगाना, गुजरात, नोर्थ ईस्ट, बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश के राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान और ख्याति प्राप्त आर्टिजंस ने अपनी कारीगिरी का नमूना पेश किया। इस अवसर पर एग्जीबिशन का उद्घाटन सिक्किम के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, एस.एन भार्गव द्वारा किया गया.
साथ ही मेडिटेशन एक्सपर्ट और यगन आचार्य, निर्मला सेवानी द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ एग्जीबिशन का शुभारम्भ हुआ। इस दौरान शिल्पकारी की संस्थापक शिल्पी भार्गव और हरीश भार्गव के साथ गणमान्य अतिथि सुधीर कासलीवाल, सरिता सिंह, अनुपमा साहू, अलका बत्रा और सुधीर माथुर भी मौजूद रहे. प्रदर्शनी का खासा आकर्षण विंटर कलेक्शन रहा जिसमें जैकेट, मफलर, कोट, ओवरकोट, शॉल, पोन्चोज, कैप्स, रैप्स, श्रग्स पर जटिल बुनाई के साथ मॉडर्न टच का समावेश देखने को मिला. एग्जीबिशन का समापन 29 दिसंबर, रविवार को शाम 7 बजे होगा.
प्रदर्शनी में ये रहा खास -
कार्यक्रम के बारे में शिल्पकारी की संस्थापक शिल्पी भार्गव ने बताया कि शिल्पकारी के मंच का मुख्य उद्देश्य भारत की परंपरा में पीढ़ियों से चली आ रही हस्तकला, हैंडलूम और कौशल को संजोना और बढ़ावा देना है. इस एग्जीबिशन में सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए देश के देश के कोने-कोने से प्रसिद्ध और प्राचीन शैलियों में तैयार किए गए विंटर परिधानों को शहर के आर्ट और फैशन लवर्स के लिए डिस्प्ले किया गया है। बुनकरों और फैशन लवर्स के बीच माध्यम बनी इस प्रदर्शनी में पारम्परिक कारीगिरी के साथ ही स्टाइल स्टेटमेंट, सस्टेनेबिलिटी और इको फ्रेंडली विषयों पर भी खास ध्यान रखा गया है.
जहां एग्जीबिशन का मुख्य आकर्षण गुजरात की भुजोड़ी बुनाई और मश्रू व लिनेन पर अजरख हैंड ब्लॉक, पटोला वीव, तेलंगाना का प्रसिद्ध इकत वीव, आंध्रप्रदेश की पेन कलमकरी, कश्मीर के पश्मीना, वेलवेट पर सोजनी की कढ़ाई, उत्तराखंड का मरिनो वूल और एरी, टस्सर व मूंगा सिल्क, बिहार के नवादा सिल्क बुनाई के साथ ही आसामी व कांजीवरम सिल्क साड़ियां व रनिंग मटीरीयल और मिर्ज़ापुर की रग्ज़ व कार्पट्स रहे. कार्यक्रम के दौरान 'किस्से बुनकरों के' चर्चा का आयोजन भी हुआ जिसमें बुनकरों के द्वारा उनके संघर्ष, कारीगिरी और कलात्मक सफर पर मंथन किया गया। इसमें पदमश्री खलील अहमद के बेटे नेशनल अवार्डी रुस्तम शोरब, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जासीर अरफ़त के साथ ही शैलेन्द्र कुमार, वनकर हितेश दयालाल, खत्री हारूनरशीद अब्दुल रज़ाक पैनल में अपने विचार व्यक्त किए.