कार देखो डॉट कॉम और शार्क टैंक फेम अमित और अनुराग जैन हुए मेंबर्स से रूबरू 

जीतो जयपुर लेडीज विंग के सेशन 'ए टू जेड ऑफ़ स्टार्टअप यूनिकॉर्न' का आयोजन  बच्चों के बीच स्टार्टअप्स का क्रेज़ देख शार्क टैंक 2 से जुड़ा  - अमित जैन 

अनन्य सोच, जयपुर। शार्क टैंक के पहले सीजन के लिए मैंने मना कर दिया था मगर एक दोस्त के घर खाने पर गया वहां उसके पांच-सात साल के बच्चें इक्विटी की बातें कर रहे थे। मैंने अपने दोस्त से पूछा की तेरे बच्चों ने ये सब कहा से सीखा तो उसने शार्क टैंक का नाम लिया। जिसके बाद मैंने दूसरे सीजन के इन्वाइट को एक्सेप्ट किया। मुझे ख़ुशी है मैं एक ऐसे प्लेटफार्म से जुड़ा हूं जो आज भारत के बच्चों को तक बिज़नेस और स्टार्टअप्स के बारे में इतनी गहराई से समझा रहे है। ये कहना था शार्क टैंक के शार्क और कार देखो डॉट कॉम के को-फाउंडर अमित जैन और अनुराग जैन का। मौका था जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाईजेशन लेडीज विंग की ओर से शुक्रवार को आयोजित हुए इंफॉर्मेटिव सेशन 'ए टू जेड ऑफ़ स्टार्टअप यूनिकॉर्न' के होटल जयपुर मेरियट में आयोजन का। कार्यक्रम में इस दौरान जीतो लेडीज विंग की चेयरपर्सन खुशबू बाकलीवाल ने सेशन को मॉडरेट किया। साथ ही जीतो जयपुर से नितिन जैन, श्रुति जैन, मेघना जैन, रवि बोराड जैन और मोनू जैन ने अमित और अनुराग का स्वागत अभिनन्दन किया। 

इस दौरान अनुराग जैन ने अपने शुरूआती दौर को याद करते हुए बताया कि मेरे दादाजी 1948 में काम के सिलसिले में लखनऊ से जयपुर आए जिसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी की ओर रुख किया और राजस्थान सरकार में एडिशनल कमिश्नर के तौर पर रिटायर हुए। पिताजी ने भी सरकारी नौकरी के साथ अपने कैरियर की शुरुआत की और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया में बैंक अफसर की पोस्ट से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद अपना सेमी प्रेशियस स्टोन के बिज़नेस की शुरुआत की। हम दोनों में शायद बिज़नेस की समझ और इच्छा उन्हें देख कर ही आई थी। हम दोनों भाइयों में अमित मुझसे दो साल बढ़ा है, उसको दिल्ली में आईटी करते हुए देख कर मैं उनसे काफी प्रेरित हुआ और आईटी के लिए दिल्ली चला गया। वहां से हमें अपना कुछ शुरू करने का ख्याल आया और हमने मार्किट रिसर्च शुरू कर दी। 

गाड़ियों के लिए टेक्नोलॉजी में नहीं थी कोई जगह - 

कार देखो डॉट कॉम की शुरुआत के बारे में अमित जैन ने बताया कि अपने बिज़नेस की नींव रखने से पहले हमने 2008 में मार्किट को समझना शुरू किया। हम दोनों को गाड़ियों का बहुत शौक था और देखा की कार्स को लेकर मार्किट में कोई भी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कुछ खास नहीं हो रहा है तब हमने कार देखो डॉट कॉम की शुरुआत करने का सोचा। इसी के साथ ऑनलाइन बिज़नेस में आने वाले सकारात्मक बदलाव को देखते हुए हमने 2013  तक ज्वेलरी और मोबाइल सेलिंग साइट भी शुरू की। इस दौरान हमारा फोकस कभी भी इस कंपनी को यूनिकॉर्न बनाने का नहीं था बस हम चाहते थे कि हम टेक्नोलॉजी की मदद से कुछ नया और क्रिएटिव कर सके। 

छोटे शहरों में मिलते है सस्ते रेंटल और लॉयल एम्प्लोई -

जयपुर से अपने बिज़नेस की शुरुआत करके पूरे देश में प्रसिद्ध हुए आईडिया के लिए अमित जैन ने बताया कि एक स्टार्टअप के लिए बड़े शहरों से ज्यादा छोटे शहर फायदेमंद होते है जहां आपको सस्ते रेंटल और लॉयल एम्प्लोयी दोनों आसानी से मिल जाते है। कोशिश करिये जहां भी आपका ऑफिस है उसका माहौल ऐसा बनाइये की आपकी टीम ऑफिस आना और काम करना एन्जॉय करे। शुरुआत के दौर पर हमने अपने ऑफिस शादियों में इस्तेमाल होने वाली टेबल्स पर सफ़ेद कपडा बिछा कर काम किया था मगर अब हम अपने ऑफिस में स्पोर्ट और फन एनवायरनमेंट रखना नहीं भूलते।