John Lang: Wanderer of Hindustan, Slanderer in Hindustani, Lawyer for the Rani' book: पुस्तक ‘जॉन लैंग: वांडरर ऑफ हिंदोस्तान, स्लैंडरर इन हिंदोस्तानी, लॉयर फॉर द रानी’ पर चर्चा

John Lang: Wanderer of Hindustan, Slanderer in Hindustani, Lawyer for the Rani' book: जयपुर के अशोक क्लब में इंटरएक्टिव बुक सेशन का आयोजन लेखक अमित रंजन ने ऐतिहासिक व्यक्तित्व, जॉन लैंग से जुड़े अनसुने तथ्यों पर प्रकाश डाला

John Lang: Wanderer of Hindustan, Slanderer in Hindustani, Lawyer for the Rani' book: पुस्तक ‘जॉन लैंग: वांडरर ऑफ हिंदोस्तान, स्लैंडरर इन हिंदोस्तानी, लॉयर फॉर द रानी’ पर चर्चा

Ananya soch: John Lang: Wanderer of Hindustan, Slanderer in Hindustani, Lawyer for the Rani' book

अनन्य सोच। John Lang: Wanderer of Hindustan, Slanderer in Hindustani, Lawyer for the Rani' book: जयपुर के अशोक क्लब में लेखक अमित रंजन की पुस्तक ‘जॉन लैंग: वांडरर ऑफ हिंदोस्तान, स्लैंडरर इन हिंदोस्तानी, लॉयर फॉर द रानी’ पर एक इंटरएक्टिव बुक सेशन का आयोजन किया गया. उनके साथ राइटर एंड ब्लॉगर, तुषारिका सिंह ने उनकी इस पुस्तक पर चर्चा की. इस पुस्तक में अमित ने ऐतिहासिक व्यक्तित्व, जॉन लैंग, जो कि झांसी की रानी के वकील के रुप में प्रसिद्ध हैं, के जीवन से जुड़ी विभिन्न परतें खोली और अनसुने तथ्यों पर प्रकाश डाला है. रानी लक्ष्मीबाई ने ऑस्ट्रेलिया के वकील जॉन लैंग को नियुक्त किया ताकि वो झांसी के अधिग्रहण के ख़िलाफ़ ईस्ट इंडिया कंपनी के समक्ष याचिका दाखिल करें.

रंजन ने जॉन लैंग के बारे में आगे बताया कि वे एक वकील के साथ-साथ वे एक अच्छे लेखक भी थे, जिन्होंने केवल 48 वर्ष की उम्र में 20 पुस्तकें लिखी थीं. इसके अतिरिक्त, उन्होंने 20 वर्ष तक एक अखबार भी लिखा और उसका स्वतंत्र संचालन भी किया.वे एक निर्भीक लेखक और वकील थे, जो कभी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लिखने से भी नहीं डरे. अमित ने बताया कि ‘जॉन लैंग' इतिहास के जुड़े ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनके बारे में बहुत कम लोगों ने बात की या उन पर कोई रिसर्च हुई. 1864 में जॉन की मृत्यु हुई थी, 1964 में प्रख्यात लेखक रस्किन बॉन्ड को मसूरी में लैंग की कब्र मिली. तब उन्होंने लैंग पर रिसर्च करना शुरू किया. इसके बाद 40 वर्ष तक किसी ने उन पर को कोई रिसर्च नहीं की. जिसके पश्चात, वर्ष 2002 में ऑस्ट्रेलियन हाई कमिशन ने उन पर रिसर्च शुरू किया. रंजन ने बताया कि उन्होंने जॉन लैंग पर अपनी रिसर्च 2006 में शुरू की, जिसके बाद उनके कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए. 
अमित ने इस पर प्रकाश डाला की वर्ष 2014 में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए थे, तब वहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को जॉन लैंग की तस्वीर भी भेंट की थी, जो भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत और एतिहासिक संबंध को दर्शाती है. 

गौरतलब है कि अमित रंजन ने जॉन लैंग: वांडरर ऑफ हिंदोस्तान, स्लैंडरर इन हिंदोस्तानी, लॉयर फॉर द रानी (नॉन-फिक्शन, 2021) के अतिरिक्त, 2 अन्य पुस्तकें द नॉट ऑफ जुगर्नॉट (कविता, 2022), और फाइंड मी लियोनार्ड कोहेन, आई एम ऑलमोस्ट थर्टी (कविता, 2018) भी लिखी हैं, जो कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं. 2024 में उनकी आने वाली पुस्तकों में 17वीं शताब्दी के सूफी राजकुमार दारा शिकोह की बायोग्राफी, एक कविता संग्रह मोनोलिथिक म्यूज़, तथा एक पुस्तक गुयाना में भारतीय मूल के अनुबंधित लोगों की यात्रा पर शामिल है, जो आगे चलकर अमेरिका और कनाडा चले गए.