कृष्णायन में गूंजे राजस्थानी गीत

Ananya soch
अनन्य सोच। प्रदेश की पारंपरिक व लोक कलाओं को बढ़ावा देने और युवाओं को कला एवं संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित मांड गायन कार्यशाला का बुधवार को समापन हुआ. कार्यशाला में 30 से अधिक प्रतिभागियों ने पद्मश्री उस्ताद डॉ. अली मोहम्मद व उस्ताद डॉ. गनी मोहम्मद से मांड गायिकी के गुर सीखे. कृष्णायन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों ने मांड गायन की सुरीली प्रस्तुति दी. केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा ने कलाकारों की हौसला अफजाई की. इस दौरान वरिष्ठ लेखाधिकारी बिंदु भोभरिया व अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे.
दोनों प्रशिक्षकों के साथ प्रतिभागियों ने सर्वप्रथम 'केसरिया बालम' गाकर सभी को राजस्थान के रंग में रंगा. जया शर्मा एवं रमेश चन्द्र बुनकर ने 'बन्ना थाने' और युहान ने 'दल बादल बिच' गीत गाया। मनीषा एवं आदित्य ने 'म्हारी सजनी ए', माही लाम्बा ने 'केले की सी कामणी नै' और भावना कथक एवं प्रीति ने 'सैणा रा बायरिया' गीत की प्रस्तुति दी. प्रमोद व चन्द्र शेखर पांचाल ने ओल्यूडी, लवप्रीत सिंह, डॉ. ज्योत्सना भार्गव व नीलम अग्रवाल ने म्हारा साजनिया और दिव्यांश जैन एवं अशोक सामरिया ने 'सावणिये री बूंदा' गीत गाकर श्रोताओं को राजस्थानी संस्कृति के सौंदर्य से सराबोर कर दिया.