खेला में दूसरे दिन दर्शकों ने उठाया दो नाटकों का लुत्फ

खेला में दूसरे दिन दर्शकों ने उठाया दो नाटकों का लुत्फ

अनन्य सोच, जयपुर। कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, जवाहर कला केन्द्र और क्यूरियो ए ग्रूप ऑफ परफोर्मिंग आर्ट सोसायटी की सहभागिता में कला संसार के तहत आयोजित हो रहे खेला हास्य नाट्य समारोह के दूसरे दिन दर्शकों ने दो नाटकों 'भेळी बात' और 'द ज़ू स्टोरी' का लुत्फ उठाया.

वहीं नाटक के बाद हुए संवाद प्रवाह के पहले सत्र में वरिष्ठ रंगकर्मी नरेन्द्र अरोड़ा, साहित्यकार डॉ. अभिमन्यु आर्हा ने निर्देशक अनिल मारवाड़ी जबकि दूसरे सत्र में रंगकर्मी हिमांशु झांकल और साहित्यकार डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने निर्देशक उत्पल झा के साथ नाटक पर साहित्यिक दृष्टि से चर्चा की. समारोह के अंतिम दिन शनिवार को शाम सात बजे रंगायन में "गुमशुदा नाक" का मंचन होगा. इसके बाद संवाद प्रवाह में साहित्यकार अंशु हर्ष, युवा रंगकर्मी योगेन्द्र परमार निर्देशक मनोज कुमार मिश्रा (बीएनए) से चर्चा करेंगे.

अनिल मारवाड़ी के निर्देशन में हुए "भेळी बात" नाटक जयपुर की बाल नाट्य रंगकर्मी स्व. निधि ताम्हनकर जैन को समर्पित रहा. राजस्थानी की चर्चित शैली बातपोशी को आधार बनाकर भेळी बात में राजस्थानी भाषा की कहावतों, किस्से, दोहे और छंदों के संकलन का अभिनय के साथ संयोजन कर रचनात्मक रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया. अपनी इसी बुनावट में यह प्रयोग बड़ी रोचकता से राजस्थानी भाषा और संस्कृति को मंच पर जीवंत करता है. दर्शकों को ही नाटक में भूमिका बना कर राजस्थानी सुनने, बोलने और समझाने को प्रयास किया जाता है. दर्शक दीर्घा में बैठा दर्शक भी नाटक का पात्र बन अभिनेता के साथ अभिनय में सहयोग करता है और आद्यंत नाटक के प्रवाह में साथ बहता है. पारंपरिक वेशभूषा में पात्र, राजस्थानी लोककथा, गीत, साहित्य, एवं  गौरवशाली इतिहास से सजे इस प्रस्तुति का लेखन, निर्देशन अनिल मारवाड़ी का रहा. अनिल नाटक के सूत्रधार भी रहे. सह अभिनेता मनोज स्वामी और मुकेश कुमार सैनी थे. प्रकाश व्यवस्था राजेन्द्र शर्मा 'राजू' ने संभाली. वहीं मंच सज्जा सागर गढ़वाल, धृति शर्मा ने प्रस्तुति प्रबंधन किया.

-नाटक 'द ज़ू स्टोरी' 

जयपुर के लाइट डिजाइनर और निर्देशक स्व. कुलदीप माथुर को समर्पित नाटक 'द ज़ू स्टोरी रहा. इनकी रंगयात्रा पर प्रकाश अभिनेत्री ममता माथुर ने डाला. यह नाटक एडवर्ड एल्बी ने लिखा है. नाटक पीटर और जैरी के इर्द—गिर्द घूमता है. दोनों एक पार्क बेंच पर मिलते हैं. पीटर एक धनी प्रशासनिक अधिकारी है जिसका भरापूरा परिवार है. जैरी एक अलग-थलग निराश व्यक्ति है, जो दूसरे इंसान के साथ सार्थक बातचीत करने के लिए बेताब है, वह पीटर से पूछताछ करके उसकी शांतिपूर्ण स्थिति में हस्तक्षेप करता है और उसे अपनी जीवन गाथा सुनने और चिड़ियाघर में उसकी यात्रा के पीछे के कारण को जानने के लिए मजबूर करता है. इसी बीच मंच पर व्यंग्यात्मक और हास्य संवादों के साथ कहानी आगे बढ़ती है. अपनी कहानी सुनाने को आतुर जैरी से पीटर का मन भर जाता है. पीटर जाने की कोशिश करता है, इसी बीच जैरी की उकसाने की कोशिश की प्रतिक्रिया स्वरूप पीटर से जैरी की हत्या हो जाती है.