Jaipur Kava Brass Band: प्रिंस चार्ल्स ने थामा हाथ, अब दुनिया के पसंदीदा कलाकार बने हमीद कावा

कोक स्टूडियो में सुनिधि चौहान के साथ गूंजी राजस्थानी कलाकारों की आवाज

Jaipur Kava Brass Band: प्रिंस चार्ल्स ने थामा हाथ, अब दुनिया के पसंदीदा कलाकार बने हमीद कावा

Ananya soch: Jaipur Kava Brass Band

अनन्य सोच। Jaipur Kava Brass Band:  देश-दुनिया में मकबूल जयपुर के पहले जयपुर कावा ब्रास बैंड के डायरेक्टर हमीद खान कावा और उनके साथी कलाकारों के संग हाल ही मुंबई के कोक स्टूडियो (भारत) ने राजस्थानी संस्कृति से लबरेज एक गाना रिकॉर्ड किया है, जो इसी 25 जून को रिलीज होगा. ले ता जैइजो रे दिलड़ा दे ता जैइजो रे...सरीखे इस राजस्थानी गीत को म्यूजिक कंपोजर शाश्वत सचदेव ने अपने कर्णप्रिय संगीत में पिरोया है. वहीं इसे मशहूर बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर सुनिधि चौहान और जयपुर कावा ब्रास बैंड के लंगा मांगणियार कलाकारों ने अपने स्वरों से सजाया है. नए कलेवर के साथ प्रस्तुत इस गीत को रिलीज से पहले ही काफी सुर्खियों मिल रही हैं. शुबहा नहीं कि इस गीत में जयपुर कावा ब्रास बैंड ने अपना अलग मुकाम हासिल किया है. गौरतलब है कि ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स 2003 में अपने जयपुर प्रवास के दौरान हमीद खान कावा के तबले पर थिरकती ऊंगलियों की जादूगरी से इतने मुतास्सिर हो गए कि उन्होंने अपने बकिंघम पैलेस में हमीद कावा को प्रोग्राम करने के लिए बुलावा दे दिया. मशहूर तबला नवाज पद्म विभूषण जाकिर हुसैन के पसंदीदा कलाकार बने हमीद कावा अब तक देश-दुनिया के नामी कलाकारों के संग कई दफा मंच साझा कर चुके हैं. 

पेरिस में बिखेरा तबला साज का तिलिस्म
अस्सी के दशक में पेरिस की धरती पर मीठे-रसीले राजस्थानी संगीत की सुरीली दस्तक देने वाले वरिष्ठ उम्दा तबला नवाज हमीद खान कावा खुद तबलाफ्यूजन के मास्टर आर्टिस्ट हैं. यही कारण है कि 1984 में पहली दफा विदेशी गिटारिस्ट के बुलावे पर पेरिस में फ्यूजन तबला साज का तिलिस्म बिखेरा, जिसे विदेशी संगीतप्रेमियों ने खूब पसंद किया. अपने पांच दशक के संगीत  सफरनामे का जिक्र करते हुए हमीद खान कावा ने बताया कि उनका मंजिले-मक्सूद राजस्थानी रेतीले धोरों में रचे-बसे लोक संगीत को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाना रहा. इसमें वे काफी हद तक कामयाब भी रहे. 
कोने से कलाकारों को खोजा और तराशा
राजस्थान के कोने-कोने से जिप्सी कलाकारों की संगीत प्रतिभा तराशकर उन्होंने जयपुर कावा ब्रास बैंड और मुसाफिर ग्रुप की स्थापना की. खासतौर से बैंड में कालबेलिया नृत्य को शामिल किया गया, जिन्होंने पूरी दुनिया में धूम मचा दी. हमीद खान के इस प्रयोग ने विदेशी धरती की आबोहवा में राजस्थानी लोकसंगीत की सौंधी महक घोल दी. अब तक वे 150 से अधिक देशों में परफॉर्म कर चुके हैं. इनमें डेनमार्क, नीदरलैंड, स्पेन, इटली, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम और ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश शामिल हैं. राजस्थानी वेशभूषा में कलरफुल पगड़ी, अपनी खास शैली की जैकेट और धुमावदार जूतियां आकर्षण का केन्द्र रहती हैं. जब राजस्थानी वेशभूषा में सजे-धजे कलाकार तुरही, ट्रॉम्बोन और यूफोनियम और ड्रमों जैसे साजों के साथ प्रतिष्ठित लोगों के बीच प्रस्तुति देते हैं तो इस बैंड की लय और ताल के संग विदेशों में आम और खास भी कदमताल करने लगते हैं. 
यह रही खास प्रस्तुतियां 
जयपुर कावा ब्रास बैंड के संस्थापक निदेशक हमीद खान कावा ने बताया कि 1998 -में कार्निवालकेड (फुटबॉल का विश्वकप), 2003 - में जयपुर में किंग प्रिंस चार्ल्स का स्वागत कार्यक्रम,  2006 -में  मेलबर्न फेस्टिवल, 2006 में कॉमनवेल्थ गेम्स, 2011- में प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा खान (अब्बाजी) की बरसी पर कार्यक्रम आदि प्रस्तुतियां बेहद अहम है,जिससे इस बैंड को इंटरनेशनल लेवल पर खास पहचान मिली.