पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का सफल आयोजन
नवल पांडेय।

Ananya soch
अनन्य सोच। राजस्थान विश्वविद्यालय के यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) ने शनिवार को अपना 12 दिवसीय पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया. यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम कोविड-19 अवधि के बाद राजस्थान में आयोजित पहला ऑफ़लाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम था जो शिक्षकों और पेशेवरों के लिए एक समृद्ध मंच प्रदान करता है.
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के महानिदेशक प्रो. अजय प्रताप सिंह और यूजीसी-एमएमटीटीसी, राजस्थान विश्वविद्यालय की निदेशक प्रो. रश्मि जैन ने अध्यक्षता की. प्रो. अजय प्रताप सिंह ने इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में भाग लेने वालें समस्त प्रतिभागियों को बधाई दी एवं कहा कि वे इस कार्यक्रम से सीखे ज्ञान एवं कौशल को अपने कार्य क्षेत्र में भी समाहित कर उन्नति करें. प्रो. रश्मि जैन ने सभी प्रतिभागियों और संसाधन व्यक्तियों द्वारा सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया और इस पाठ्यक्रम के सफल निष्पादन की सराहना की, जिसने राजस्थान में पुस्तकालय और सूचना विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया. साथ ही उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों में पाठकों को डिजिटल के साथ साथ पुस्तकों के भौतिक उपयोग को भी प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है. पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह 6 जनवरी 2025 को यूजीसी-एमएमटीटीसी, राजस्थान विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में आयोजित किया गया था. कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुई. उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने की. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता, डीन और प्रोफेसर ऑफ लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा, ने "डिजिटल टेक्नोलॉजीज एंड फ्यूचर ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम्स एंड लाइब्ररीज" पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया. यूजीसी एचआरडीसी, राजस्थान विश्वविद्यालय की निदेशक प्रो. रश्मि जैन ने स्वागत भाषण दिया. कार्यक्रम में प्रो. यदु शर्मा, डीन फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, राजस्थान विश्वविद्यालय, और प्रो. राम सिंह चौहान, विभागाध्यक्ष पुस्तकालय और सूचना विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, की प्रतिष्ठित उपस्थिति भी देखी गई. प्रतिभागियों को प्रक्रियाओं, शेड्यूल, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी देने के लिए कोर्स समन्वयक डॉ. संतोष गुप्ता ने विवरण प्रस्तुत किया. डॉ. संतोष गुप्ता, एक अन्य पाठ्यक्रम समन्वयक ने उद्घाटन और समापन दोनों समारोहों का संचालन किया.
6 से 18 जनवरी 2025 तक आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में 12 राज्यों से 46 शिक्षकों और पेशेवरों ने भाग लिया. विभिन्न तकनीकी सत्रों में जेएनयू, आईआईटी और विभिन्न केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के 24 प्रतिष्ठित संसाधन व्यक्तियों द्वारा व्याख्यान दिए गए. सत्र अत्यंत ज्ञानवर्धक और औपचारिक थे. यह 12-दिवसीय पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम प्रतिष्ठित संसाधन व्यक्तियों द्वारा ज्ञानवर्धक सत्रों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय था. इन तकनीकी सत्रों में व्याख्यान देने वाले विशेषज्ञों में डॉ. नीरज चौरसिया, प्रो. पूर्णिमा कौशिक, प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता, प्रो. शरद कुमार सोनकर, डॉ. परवीन बब्बर, प्रो. एचपीएस कालरा, प्रो. अरविंद कुमार शर्मा, प्रो. एस. पी. सूद, प्रो. मनोज के. वर्मा, डॉ. गोपाकुमार वी., प्रो. एम. पी. सिंह, प्रो. रमेश के. अरोरा, प्रो. जे. के. मिश्रा, डॉ. पी. के. जैन, प्रो. अरुण जुल्का, डॉ. शिवा कनौजिया सुकुला, प्रो. राम सिंह चौहान, प्रो. आर. के. भट्ट, डॉ. संजीव सराफ, प्रो. शिपी वर्मा, प्रो. के. एल. महावर, प्रो. जगतार सिंह, और प्रो. के. पी. सिंह जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल थे. इन प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत सत्रों ने सभी प्रतिभागियों के सीखने के अनुभव को समृद्ध किया.
इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य पुस्तकालय विज्ञान के शिक्षकों की पेशेवर क्षमताओं को उन्नत करना था, जिसमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों, एआई उपकरण, डिजिटल युग में कॉपीराइट और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में पुस्तकालयों की भूमिका जैसे उन्नत विषयों पर व्यापक सत्र सम्मिलित थे.
समापन समारोह में दीप प्रज्वलन, विश्वविद्यालय द्वारा कुलगीत, और कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विजेंद्र कुमार द्वारा पाठ्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया और प्रतिष्ठित अतिथियों के संबोधन ने पाठ्यक्रम की सफलता और प्रभाव को उजागर किया. कार्यक्रम समन्वयक डॉ. संतोष गुप्ता ने उद्घाटन और समापन दोनों समारोहों का संचालन किया। समापन समारोह के अंत में, सह-समन्वयक डॉ. महेंद्र सिंह राव ने सभी को धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया. 12 राज्यों के प्रतिभागियों ने विभिन्न सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लेकर इसे सफलतापूर्वक पूर्ण किया, जिससे यह एक यादगार और प्रभावशाली अनुभव बन गया.