श्रद्धालुओं ने गायत्री और यज्ञ के संदेश को जीवन में उतारने का संकल्प लिया

Ananya soch
अनन्य सोच। आगरा रोड स्थित ग्रीन पार्क पंचमुखी महादेव मंदिर में शनिवार को 24 कुंडीय शक्ति संवद्र्धन गायत्री महायज्ञ की महा पूर्णाहुति हुई. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गायत्री और यज्ञ के संदेश को जीवन में उतारने का संकल्प लिया. दो पारियों में श्रद्धालुओं नेे यज्ञ की ऊर्जा से प्राणवान बने वातावरण में विश्व मंगल की कामना के साथ यज्ञ देवता को गायत्री, महामृत्युंजय महामंत्र सहित अनेक मंत्रों से आहुतियां प्रदान की. लोगों ने गर्मी में पक्षियों के लिए परिंडे लगाने, पेड़-पौधों में पानी देने, जूठन नहीं छोडऩे, मोबाइल का अत्यधिक उपयोग नहीं करने, नशा छोडऩे, सूर्य भगवान को अघ्र्य देने का संकल्प भी लिया.
मां गायत्री, गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, भगवती देवी शर्मा के पंचोपचार पूजन के बाद उद्गाता बंधुओं ने प्रज्ञागीतों की सरस प्रस्तुतियों से वातावरण को सरस बना दिया. प्रांरभ में गायत्री परिवार राजस्थान जोन समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल, ट्रस्टी सतीश भाटी, गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक सोहन लाल शर्मा, राजवीर सिंह, रामकिशोर शर्मा, महावीर माहेश्वरी सहित परिष्ठ प्रतिनिधियों ने देव पूजन किया. कार्यक्रम संयोजक अनिल खंडेलवाल ने बताया कि शांतिकुंज हरिद्वार से आए टोली नायक प्रभाकांत तिवारी ने हवन को जीवन में अपनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यज्ञ का अर्थ दान, देव पूजन और संगतिकरण है. समाज में मिल जुलकर रहना भी यज्ञ है। इसलिए चार दिन जो यज्ञ किया उसे घर पर नियमित रूप से करना. बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का विद्यारंभ संस्कार यज्ञ के माध्यम से कराया गया. प्रभाकांत तिवारी ने कहा कि जो बच्चे नियमित रूप से गायत्री महामंत्र का जप करते हैं. वे मेधावी और प्रज्ञावान बनते हैं. गायत्री महामंत्र पर दिल्ली एम्स में सफल शोध हो चुका है.
भगवान को आध्यात्म का खिलौना बना लिया
एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि हमने भगवान को आध्यात्म का खिलौना बना लिया है. हम सभी में भगवान से मांगने की प्रवत्ति बनी हुई हैं। यदि आप भगवान से कुछ मांगना चाहते हो तो अपने लिए नहीं सभी के लिए स्वास्थ्य, कल्याण, राष्ट्र कल्याण के लिए भी कुछ मांगना चाहिए। भगवान श्रद्घा और भाव के भूखे हैं. जब हम यज्ञ में आहुतियां देते हैं यदि उसे भावनाओं से अर्पित करें तो हजार गुना अधिक हो जाती हैं. यज्ञ स्थल पर पीतांबर धारी परिजनों ने अनिष्ट निवारण एवं शहीदों की आत्मशांति के लिए यज्ञ में आहुतियां दीं. तिवारी ने कहा कि गायत्री साधना के लिए गायत्री मंत्र लेखन या 5 गायत्री चालीसा अवश्य करें. उन्होंने कहा कि यदि 10 करोड़ लोग प्रतिदिन 1 घंटे साधना करें तो उसके असर परमाणु बम से भी हजार गुना अधिक है.
गुरू ईश वंदना से हुआ शुभारंभ
प्रारंभ में गुरू ईश वंदना, साधनादिपवित्रीकरण, मंगलाचरण, षट्कर्म, पृथ्वी पूजन, संकल्प, चंदन धारण के बाद कलाई पर रक्षा सूत्र बंधवाया गया. इसके बाद अखिल ब्रह्मांड के प्रतीक कलश का पूजन किया गया. कलश प्रार्थना के बाद चेतना के प्रतीक दीप का पूजन किया गया. समवेत स्वर में गुरु, मां गायत्री, प्रथम पूज्य गणपति सहित 33 देवी-देवताओं का भाव पूर्वक आह्वान किया गया. नवग्रह, सर्वतोभद्र, वास्तु मंडल का भी पूजन किया गया.
सर्वदेव नमस्कार कर सभी आह्वावित देवी-देवताओं का षोडशोपचार पूजन किया गया. सभी के कल्याण की कामना के साथ अक्षत और पुष्प से स्वस्तिवाचन किया गया। रक्षाविधान, अग्निस्थापन, गायत्री स्तवन, अग्नि प्रदीपन, समिधाधान, जल प्रसेचन, आज्याहुति का क्रम पूरा कर गायत्री और महामृत्यु मंत्र से आहुतियां प्रदान की गई. यज्ञ में हुई भूलों की क्षमायाचना के रूप में मीठे व्यंजन की आहुति के साथ स्विष्टकृत्होम किया गया. एक बुराई छोडऩे और एक अच्छाई ग्रहण करने के संकल्प के साथ पूर्णाहुति हुई. इसके बाद वसोर्धारा, आरती, घृतावघ्राण, भस्मधारण, क्षमा प्रार्थना, साष्टांग नमस्कार, शुभकामना, पुष्पाजंलि, शांति-अभिषिंचन, सूर्याघ्र्यदान, प्रदक्षिणा का क्रम पूरा हुआ. यज्ञ का संचालन मणिशंकर पाटीदार ने किया.