Ananya soch: world theater day
जयपुर। world theater day: रंगमंच कलाकारों का एक ऐसा परिवार है जो एक साथ मिलकर एक कहानी को जीवंत करता है। बात की जाएं रंगमंच की तो ये दर्शकों के लिए एक ऐसा माध्यम है, जिससे वे जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते हैं. इसी रंगमंच और कला को बढ़ावा देने के लिए विश्व रंगमंच दिवस (वर्ल्ड थियेटर डे) विश्वभर में हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है। रंगमंच कलाकारों, निर्देशकों और लेखकों को प्रोत्साहित भी करता है। रंगमंच दर्शकों को जीवन के कई पहलुओं से रूबरू कराता है. रंगकर्मी मात्र दर्शकों को हंसाने वाला, गुदगुदाने वाला जोकर नहीं है, वह समाज में फैली विसंगतियों को सशक्त रूप से उजागर करने वाला माध्यम है. वर्तमान दौर में अधिकतर कलाकारों की दयनीय स्थिति है.
इनका कहना है....
आज एक कलाकार बनना चुनौती और जोखिम भरा है. आज रंगमंच कलाकार अपने आप को अच्छा कलाकार बनाने के लिए कई घंटे रिहर्सल करता है। कोई सैलरी नहीं मिलती सिर्फ इंतजार होता है. काम मिल जाए किसी टीवी सीरियल या फिल्म में तो सब सही होता है. अधिकतर रंगकर्मियों के घर वाले लगातार थिएटर से दूर होने की सलाह देकर अच्छी नौकरी करने की सलाह देते हैं. अधिकतर रंगकर्मी को जिंदगी भर स्ट्रगल का सामना करना पड़ता है.
- फिरोज मिर्जा, लेखक-निर्देशक
एक रंगकर्मी समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों को दर्शक-समाज के समक्ष रखता है। यह असुविधाओं के होने के बाद भी बड़ी ईमानदारी से अपना फर्ज अदा कर रहा है। I
- केके कोहली, रंगकर्मी
रंगमंच और कलाकार केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु सशक्त जन आंदोलन का प्रतीक है। रंगकर्मी मात्र दर्शकों को हंसाने वाला, गुदगुदाने वाला माध्यम नहीं है, यह समाज में फैली विसंगतियों को सशक्त रूप से उजागर करने याला माध्यम है। वर्तमान में कलाकारों की स्थिति दयनीय है, इसलिए हिंदी रंगमंच भी हाशिए पर है। उचित संरक्षण व संवर्धन नहीं मिलने से कलाकारों के सामने आजीविका की समस्या बनी रहती है।
- अरशिया परवीन, रंगकर्मी निर्देशक