Holi festival: गुरुओं को समर्पित नृत्यशालाओं में छाई होली की उमंग
Holi festival: कथक नृत्यांगना डॉ. श्वेता गर्ग की अनूठी पहल, किया पिचहत्तर वर्षीय नृत्य गुरु पं. गिरधारी महाराज का अभिनंदन
Ananya soch: Holi festival
अनन्य सोच। Holi festival news: कथक के जयपुर घराने की नृत्यागना एवं कथक नृत्य गुरु डॉ. श्वेता गर्ग ने होली के मौके पर अपने कथक संस्थान इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कथक डांस एंड म्यूज़िक परिसर में जयपुर घराने के कथक नृत्य गुरू पं. गिरधारी महाराज का पिचहत्तरवां जन्म दिवस मनाया. श्वेता गर्ग ने इंस्टीट्यूट परिेसर में चार नृत्य शालाएं बनाई हैं इन चारों नृत्य शालाओं के नाम कथक गुरुओं पर रखे गए हैं. गिरधारी महाराज को समर्पित नृत्यशाला का नाम ‘गिरधायन’, डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी को समर्पित नृत्यशाला का नाम ‘ज्योतिआयन’, पं. राजेन्द्र गंगानी को समर्पित नृत्यशाला का नाम ‘राजेन्द्रायन’ और पं. चरण गिरधर चांद को समर्पित नृत्यशाला का नाम ‘चरणायन’ रखा है. चारों नृत्य शालाओं में इन गुरूओं से संबंधित चित्र भी लगाए गए हैं.
-मनाया गिरधारी महाराज का पिचहत्तरवां जन्मदिवस
इस मौके श्वेता ने गिरधारी महाराज और ज्योति भारती गोस्वामी को समर्पित नृत्यशालाओं में महाराज का पिचहत्तरवां जन्मदिवस मनाया। जाने-माने चित्रकार पद्मश्री तिलक गीताई, नृत्य गुरू मंजिरी किरण महाजनी, ज्योति भारती गोस्वामी और संगीता मित्तल की उपस्थिति में महाराज ने केक काटकर सभी को आशीर्वाद दिया. इससे पूर्व महाराज की शिष्या डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी, डॉ. श्वेता गर्ग और संगीता मित्तल तथा वरिष्ठ नृत्य गुरू मंजिरी किरण महाजनी ने होली पर आधारित नृत्य रचनाएं पेश की. कलाकारों के साथ गायन पर रमेश मेवाल, तबले पर पं. कौशल कांत पंवार और आदित्य सिंह राठौर ने संगत की.
-कलाकारों की सहायता के लिए स्थापित की संस्था
इस मौके पर डॉ.श्वेता गर्ग और उनकेे पति आलोक गर्ग ने जरूरतमंद कलाकारों की सहायतार्थ एक संस्था ‘अर्पण-समर्पण’ की स्थापना भी की. आलोक गर्ग द्वारा संस्था के उद्देश्य स्पष्ट करने के बाद वहां मौजूद चित्रकार पद्मश्री तिलक गीताई और संस्कृतिकर्मी कविता भट्ट ने संस्था का नाम ‘अर्पण समर्पण’ रखा. दोनों वहां रखी विजिटरबुक में संस्था का नाम लिखकर अपने हस्ताक्षर किए. इस मौके पर संस्था की ओर से पं. गिरधारी महाराज और मौजूद कलाकारों ने पौधा रोपण भी किया. आलोक गर्ग ने बताया कि इस संस्था के माध्यम से उन कलाकारों की सहायता की जाएगी जो जीवन के उस दौर से गुजर रहे हैं जिसमें अब उन्हें अपनी कला से ज्यादा कुछ नहीं मिल पाता है और उनकी पारिवारिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वो एक समान्य जीवन यापन कर सकें.