सच्ची कला सृजन में नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाने के साहस में निहित - अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी 

सच्ची कला सृजन में नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाने के साहस में निहित - अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी 

Ananya soch: True art lies not in creation, but in the courage to bring about real change - Ashwini Kumar Prithviwasi
 अनन्य सोच। कला का दायरा असीमित है, जहां से मानसिक सोच के तमाम दरवाजे बंद हो जाते हैं, वहीं से कला इंसानी सोच के एक नए दरवाजे को खोलती है और एक नया आकार लेती है. यह कहना है देश-दुनिया के नामी चितेरे अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी का. उन्होंने गुरुवार को शहर में पत्रकारों से कलात्मक विचारों में एक आदर्श बदलाव जैसे  अमूर्तवाद के क्रांतिकारी अवधारणा को लेकर विचार साझा किए. दिल्ली के  एमिनेंट आर्टिस्ट पृथ्वीवासी ने बताया कि मौजूदा दौर में कला काफी हद तक एक वस्तु बन गई है. इसका मूल्य वित्तीय लाभ और बाजार के रुझानों से मापा जा सकता है. गौरतलब है कि इस पृष्ठभूमि के खिलाफ कलाकार और शिक्षक अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी एक क्रांतिकारी शक्ति के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने रचनात्मकता के वस्तुकरण को चुनौती दी है. साथ ही एक क्रांतिकारी नई अवधारणा - अमूर्तवाद को पेश किया है. उन्होंने कला के गहरे और संश्लिष्ट भावों से जुड़े सामाजिक बदलाव को कला की नई अनुभूति के रूप में परिभाषित करने की पुरजोर कोशिश की है. पृथ्वीवासी ने बताया कि दुनिया के नामी फोटोग्राफर केविन कार्टर की  खींची गई एक भुखमरी से पीड़ित सूडानी बच्चे की पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता तस्वीर ने सामाजिक जिम्मेदारी की नई इबारत लिखी और बुनियाद रखी. केविन कार्टर की खींची गई गिद्ध और छोटी लड़की, 1993 शीर्षक से तस्वीरों ने भी इंसानी सोच की अंदरुनी तहों को भी छूआ. भुखमरी से पीड़ित सूडानी बच्चे की छवि ने अकाल के बारे में वैश्विक जागरूकता को प्रज्वलित किया. इससे कई नैतिक प्रश्न भी उठे। क्या एक कलाकार को केवल पीड़ा का दस्तावेजीकरण करना चाहिए, या उन्हें हस्तक्षेप करके बचाव करना चाहिए? पृथ्वीवासी का तर्क है कि एक बच्चे की पीड़ा को चित्रित करने, मूर्तिकला बनाने या फोटो खींचने के बजाए एक कलाकार को उन्हें बचाने की दिशा में काम करना चाहिए.  उन्होंने कहा कि सच्ची कला केवल सृजन में नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाने के साहस में निहित है. उन्होंने बताया कि राजधानी दिल्ली शहर जहां 150 से अधिक आर्ट गैलरी में अक्सर प्रदर्शनियां होती रहती हैं। पृथ्वीवासी का कहना है कि क्या विशिष्ट स्थानों पर कलाकृतियों को प्रदर्शित करने से आम जनता के बीच कोई फर्क पैदा होता है. इसके बजाए उन्होंने एक प्रत्यक्ष और उन्मुख दृष्टिकोण चुना है. उन्होंने पछले तीन दशकों में 20 से ज़्यादा स्व-वित्तपोषित परियोजनाओं को लागू किया है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर असर पड़ा है. कला ने लंबे समय से संस्कृतियों, युगों और विचारधाराओं के बीच एक सेतु का काम किया है। पश्चिमी कला ने क्लासिकिज्म, रोमांटिकवाद, प्रभाववाद और अभिव्यक्तिवाद के विभिन्न कलात्मक आंदोलनों के विकास को देखा है. इसे लियोनार्डो दा विंची, माइकल एंजेलो और पाब्लो पिकासो जैसी महान हस्तियों ने आकार दिया है. समकालीन समय में डेविड हॉकनी और जेफ कून्स जैसे कलाकार कलात्मक अभिव्यक्ति को फिर से परिभाषित कर रहे हैं. भारतीय कला में भी राजा रवि वर्मा, एमएफ हुसैन और अमृता शेर-गिल जैसे आला चितेरों का उल्लेखनीय योगदान रहा है. आधुनिकता की बात करते हैं, तो पॉल सेज़ेन को अक्सर आधुनिक कला का जनक माना जाता है। ये अग्रदूत पारंपरिक कलात्मक मानदंडों को चुनौती देते हैं. 

 
सार्वजनिक जुड़ाव : स्थानों को पवित्र बनाना
 
साल 2016 में पृथ्वीवासी ने एक परियोजना (बिना रुके 80 दिन) शुरू की। केवल स्वच्छ सार्वजनिक स्थानों की वकालत करने के बजाए उन्होंने खुद सड़कों की सफाई की. यह प्रदर्शित करते हुए कि कला सामुदायिक सेवा के रूप में प्रकट हो सकती है। इसका उद्देश्य जनता को यह दिखाना रहा, जो असंभव लग सकता है. उसे वास्तव में हासिल किया जा सकता है. 
 
आशा के 10,000 पेड़ :पृथ्वीवासी का कला- संचालित हरित आंदोलन

साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान जब दुनिया लॉकडाउन में थी। लोग भावनात्मक संकट का सामना कर रहे थे. पृथ्वीवासी ने समुदाय को एक मुफ़्त दवा के रूप में मुफ़्त ऑनलाइन कला कक्षाएं देना शुरू किया.  उनकी शिक्षा ने लोगों को अवसाद से बचाया।जब लोगों ने उनसे उनकी शिक्षाओं के लिए किसी प्रकार का पारिश्रमिक (गुरु दक्षिणा) देने पर जोर दिया तो उन्होंने प्रत्येक छात्र को दुनिया के प्रति निस्वार्थ प्रेम के प्रतीक के रूप में एक पेड़ लगाएं. उसका नाम पृथ्वीवासीज् रखना चाहिए। इसका नतीजा यह हुआ कि 10,000 से अधिक पौधे लगाए गए, जो पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक कल्याण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने दुनिया भर के कलाकारों से आग्रह किया कि वे अपनी रचनात्मकता, समय, ऊर्जा और संसाधनों को सामाजिक बेहतरी की दिशा में निवेश करें.  अमूर्तवाद की क्रांति केवल एक कलात्मक आंदोलन नहीं यह चेतना का आह्वान है। 21वीं सदी में कला की भूमिका को फिर से परिभाषित करने का निमंत्रण है. आर्टिस्ट पृथ्वीवासी कहते हैं, वैश्विक कला समुदाय में इस क्रांति को पेश करके वह एक और अमूर्त कला परियोजना शुरू कर रहे हैं जो अनिश्चित काल तक जारी रहेगी.