आगरा रोड के  ग्रीन पार्क पंचमुखी महादेव मंदिर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ शुरू

महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है यज्ञ -विश्व कल्याण की कामना के साथ अर्पित की आहुतियां -एक बुराई छोडऩे के संकल्प के साथ की पूर्णाहुति

आगरा रोड के  ग्रीन पार्क पंचमुखी महादेव मंदिर में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ शुरू

Ananya soch: 24 Kundiya Gayatri Maha Yagya started at Green Park Panchmukhi Mahadev Temple on Agra Road
अनन्य सोच। आगरा रोड स्थित ग्रीन पार्क पंचमुखी महादेव मंदिर में गुरूवार को 24 कुंडीय शक्ति संवद्र्धन गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से दिव्य वातावरण में विश्व कल्याण की कामना के साथ यज्ञ देवता को गायत्री, महामृत्युंजय महामंत्र सहित अनेक मंत्रों से आहुतियां प्रदान की. प्रज्ञागीतों के साथ देव मंच पर भारतीय संस्कृति की मां गायत्री, गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, भगवती देवी शर्मा के पूजन के साथ पहले दिन के यज्ञ का क्रम शुरू हुआ. विश्व शांति और राष्ट्र जागरण के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में हुए शक्ति संवद्धर्न महायज्ञ को संपन्न करवाते हुए शांतिकुंज हरिद्वार से आए टोली नायक प्रभाकांत तिवारी ने यज्ञ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व से परिचित करवाते हुए कहा कि यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है. क्योंकि यज्ञ का लाभ सभी को मिलता है. यज्ञ से वातावरण का शुद्धिकरण होता है. यज्ञ धूम्र आकाश में जाकर बादलों में मिलता है. उससे वर्षा का अभाव दूर होता है। ऐसी वर्षा से अन्न, घास, वनस्पतियां, जीव-जंतु सभी बलवान, परिपुष्ट एवं शक्ति सम्पन्न बनते हैं। यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्व वायु मंडल में फैलाए जाते हैं उनसे हवा में घूमते हुए असंख्य रोग-कीटाणु सहज ही नष्ट हो जाते हैं। डीडीटी, फिनायल आदि छिडक़ने, बीमारियों से बचाव करने की दवाएं या सुइयां लेने से भी कहीं अधिक कारगर उपाय यज्ञ करना है. साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है. दवाओं में सीमित स्थान एवं सीमित व्यक्तियों को ही बीमारियों से बचाने की शक्ति है, पर यज्ञ की वायु तो सर्वत्र ही पहुंचती है और प्रयत्न न करने वाले प्राणियों की भी सुरक्षा करती है. मनुष्यों की ही नहीं, पशु पक्षियों, कीटाणुओं एवं वृक्ष वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है. 

 देवताओं का भोजन है यज्ञ
प्रभाकांत तिवारी ने कहा कि वेदों में देवताओं का भोजन यज्ञ को बताया गया है. जब उन्हें अपना आहार समुचित मात्रा में मिलता रहता है तो वे परिपुष्ट रहते हैं और असुरता को, दुख दारिद्र को दबाये रहते हैं. इस रहस्यमय तथ्य को गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं श्रीमुख से उद्घाटन किया है. यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अन्त:करण पर देवत्व की छाप डालती है. जहां यज्ञ होते हैं वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेता है और वहां जाने वालों पर भी दीर्घ काल तक प्रभाव डालती रहती है. 
कुबुद्धि, कुविचार, दुर्गुण एवं दुष्कर्मों से व्यक्तियों की मनोभूमि में यज्ञ से भारी सुधार होता है. इसलिए यज्ञ को पाप नाशक कहा गया है।  यज्ञ को स्वर्ग देने वाला भी कहा गया है. 
गुरू ईश वंदना से हुआ शुभारंभ:
प्रारंभ में गुरू ईश वंदना, साधनादिपवित्रीकरण, मंगलाचरण, षट्कर्म, पृथ्वी पूजन, संकल्प, चंदन धारण के बाद कलाई पर रक्षा सूत्र बंधवाया गया. इसके बाद अखिल ब्रह्मांड के प्रतीक कलश का पूजन किया गया. कलश प्रार्थना के बाद चेतना के प्रतीक दीप का पूजन किया गया. समवेत स्वर में गुरु, मां गायत्री, प्रथम पूज्य गणपति सहित 33 देवी-देवताओं का भाव पूर्वक आह्वान किया गया. नवग्रह, सर्वतोभद्र, वास्तु मंडल का भी पूजन किया गया. 
सर्वदेव नमस्कार कर सभी आह्वावित देवी-देवताओं का षोडशोपचार पूजन किया गया. सभी के कल्याण की कामना के साथ अक्षत और पुष्प से स्वस्तिवाचन किया गया. रक्षाविधान, अग्निस्थापन, गायत्री स्तवन,
अग्नि प्रदीपन, समिधाधान, जल प्रसेचन, आज्याहुति का क्रम पूरा कर गायत्री और महामृत्यु मंत्र से आहुतियां प्रदान की गई. यज्ञ में हुई  भूलों की क्षमायाचना के रूप में मीठे व्यंजन की आहुति के साथ स्विष्टकृत्होम किया गया. एक बुराई छोडऩे और एक अच्छाई ग्रहण करने के संकल्प के साथ  पूर्णाहुति हुई। इसके बाद वसोर्धारा, आरती, घृतावघ्राण,, भस्मधारण, क्षमा प्रार्थना, साष्टांग नमस्कार, शुभकामना, पुष्पाजंलि, शांति-अभिषिंचन, सूर्याघ्र्यदान, प्रदक्षिणा का क्रम पूरा हुआ। सायंकालीन सत्र में संगीतमय प्रज्ञापुराण कथा हुई. व्यासपीठ से प्रभाकांत तिवारी ने निष्कंलक प्रज्ञावतार की कथा का श्रवण कराया. उद्गाता बंधुओं ने सरस प्रज्ञा गीतों की कर्ण प्रिय प्रस्तुतियां दीं. कार्यक्रम का संचालन मणिशंकर पाटीदार ने किया. 

 आज यज्ञ के साथ होंगे संस्कार:
कार्यक्रम संयोजक अनिल खंडेलवाल ने बताया कि  शुक्रवार, 18 अप्रेल को सुबह आठ बजे से गायत्री महायज्ञ और विभिन्न संस्कार कराए जाएंगे. दोपहर दो से शाम पांच बजे तक संगीतमय प्रवचन होंगे. शाम सात से रात्रि नौ बजे तक राष्ट्र जागरण दीप महायज्ञ होगा. शनिवार, 19 अप्रेल को सुबह आठ बजे से गायत्री महायज्ञ एवं विभिन्न संस्कार होंगे. गुरु दीक्षा संस्कार विशेष रूप से कराया जाएगा. नशा मुक्ति संकल्प के साथ महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी. दोपहर एक बजे शांतिकुंज से आई टोली की विदाई होगी.