Dharti Dhoran Ri Mahotsav: मांड गायन, तेरहताली और कच्छी घोड़ी डांस ने रचा उत्सवी परिवेश

Dharti Dhoran Ri Mahotsav: सात दिवसीय ‘धरती धोरां री महोत्सव के चौथे दिन परवीन मिर्ज़ा, रूपदास और पूरण नाथ सपेरा की प्रस्तुतियों से खिला राजस्थानी संस्कृति का गुलदस्ता सोमवार को पद्मश्री गुलाबो देंगी प्रस्तुति, अभिलाषा ललित भारतीय आयोजित करेंगी पेंटिंग वर्कशॉप

Dharti Dhoran Ri Mahotsav: मांड गायन, तेरहताली और कच्छी घोड़ी डांस ने रचा उत्सवी परिवेश

Ananya soch: Dharti Dhoran Ri Mahotsav

जयपुर। Dharti Dhoran Ri Mahotsav: शहर में आयोजित किए जा रहे सात दिवसीय लोक संस्कृति महोत्सव ‘धरती धोरां री’ (Dharti Dhoran Ri Mahotsav) के चौथे दिन राजस्थान की संस्कृति से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस मौके पर जानी मानी गायिका परवीन मिर्ज़ा ने मांड गायन से तो रूपदास ने तेरहताली तथा पूरण नाथ सपेरा और साथी कलाकारों ने कच्छी घोड़ी की मदमाती लय और ताल से संपूर्ण परिसर को धोरांरी धरती की सौंधी महक से सराबोर कर दिया. इनफोसिस और भारतीय विद्याभवन की ओर से आयोजित किए जा रहे समारोह का मुख्य अतिथि इंदौर के शिक्षाविद् विजय छजलानी और विशिष्ट अतिथि वोस के प्रतिनिधि मानव मलहोत्रा ने दीप प्रज्जवलित कर संध्या का शुभारंभ किया.

-केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस

समारोह की शुरूआत परवीन मिर्ज़ा के गायन से हुई. परंपरा के रंग में रंगी परवीन मिर्ज़ा ने अपनी खनकती आवाज़ के ओज से मांड गायकी के रंगों से संगीत प्रेमियों को सराबोर कर दिया. कार्यक्रम की शुरूआत परवीन ने राजस्थानी आन-बान और शान के प्रतीक गीत ‘केसरिया आवोनी पधारो म्हारे देस’ से की. इसके बाद उन्होंने आओजी भंवर अलबेला जी म्हारे मेला, थाने पंखिया डुरावां सारी रेन और लुण जा रहे हरिया पोदीनो जैसे गीतों से मांड गायकी की सुरीली प्रस्तुति से संगीत प्रेमियों को अपने मोहपाश में बांध लिया. परवीन के साथ तबले पर मांगी लाल पंवार, हारमोनियम पर सलीम बेग, ढोलक पर गोपाल खींची और सारंगी पर मंजूर अली ने संगत की.

-छाया तेरहताली और कच्छी घोड़ी का सुरूर

इसके बाद सभागार में करीब एक घंटे से भी अधिक डांस की मस्ती छाई रही. रूपदास ने कई लोक गीतों की धुन पर तेरहताली तथा पूरण नाथ सपेरा और साथी कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य की बानगी पेश की. तेरहताली डांस में जहां कलाकार ने अपने हाथों पर तेरह मंजीरे बांधे और फिर उन्हें लयात्मक अंदाज में खनकाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. वहीं कच्छी घोड़ी डांस की लय और ताल कुछ ऐसी थी सभागार में बैठा हर कोई थिरकने लगा. इन नृत्य के दौरान गूँजे रूणक झुणक बजे घुगरिया, अजमल जी कंवरा भूला नहीं एक घड़ी, म्हारो हेलो सुनो रामा पीर जी जैसे गीतों नें इन प्रस्तुतियों को और भी आकर्षक बना दिया.

आज होगी पद्मश्री गुलाबो और साथी कलाकारों तथा श्याम सैनी की प्रस्तुति

भारतीय विद्या भवन के कार्यक्रम सचिव राजेन्द्र सिंह पायल ने बताया कि समारोह के पांचवे दिन सोमवार को शाम 6.15 बजे से पद्मश्री गुलाबो और साथी कलाकार कालबेलिया नृत्य सहित कई राजस्थानी लोक नृत्यों का गुलदस्ता पेश करेंगे. इस मौके पर श्याम सैनी फतेहपुर वालों का होली गायन भी होगा.  इससे पूर्व दिन में सुबह 10.30 बजे से चित्रकार अभिलाषा ललित भारतीय स्टूडेंट्स को पोट्रेट कला की जानकारी देंगी.