मैं वो नहीं जो दिखता हूँ , मैं वो हूँ जो लिखता हूँ -मानव कौल 

नवल पांडेय।

मैं वो नहीं जो दिखता हूँ , मैं वो हूँ जो लिखता हूँ -मानव कौल 

Ananya soch

अनन्य सोच। “मुझे जयपुर से बहुत प्यार है. मैं अक्सर यहाँ आता रहता हूँ. आज सोमवार की सुबह भी मेरे सत्र में इतने लोगों की मौजूदगी ने मुझे जता दिया है कि जयपुर भी मुझसे इतना ही प्यार करता है. यहाँ के लोगों ने बहुत अच्छे सवाल पूछे हैं. मुझे जयपुर से मेरे फेन्स के बहुत सारे मेसेज और फोटग्रैफ आते रहते हैं.“ यह कहना था नाट्य लेखक-निर्देशक, फिल्ममेकर व अभिनेता मानव कौल का जो जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपने सत्र “ए बर्ड ऑन माय विंडो सील” के बाद मीडिया से बात कर रहे थे.  उन्होनें कहा कि लिखने के लिए किसी मूड विशेष की कोई भूमिका नहीं होती. दुनिया का अधिकतम श्रेष्ठ हास्य उन लोगों ने लिखा है जिनके जीवन में गहरा दुख था. महान लेखक हरिशंकर परसाई को यहाँ हम याद कर सकते हैं. उन्होनें यह भी कहा कि कई सुखी व अमीर लेखकों ने दुख व पीड़ा से भरा साहित्य रचा है. मुझे भी लिखने के लिए कोई मूड बनाने की जरूरत नहीं है। मैं जब खुश होता हूँ तो ज्यादा लिखता हूँ.