रवींद्र जयंती उत्सव: छात्र की प्रतिभा ने टीचर को कराया गलती का अहसास

रवींद्र जयंती उत्सव: छात्र की प्रतिभा ने टीचर को कराया गलती का अहसास

 रवींद्र जयंती उत्सव:
जयपुर।
स्कूल अध्यापक पंडित शिवनाथ क्रूर व अकड़ू स्वभाव के हैं। अध्यापक शाला के सभी बच्चों को किसी न किसी तरीके से मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते रहते हैं, जिससे सभी स्टूडेंट्स परेशान रहते हैं। छात्रों के नामों का उपहास उड़ाते हुए दूसरा नाम रख देते हैं। कुछ इस प्रकार कहानी आगे बढ़ते हुए कई मोड़ लेती है और गिन्नी नाटक आगे बढ़ता है। मौका था आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कला, साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व विभाग और रवींद्र मंच की ओर से 3 दिवसीय रविंद्र जयंती उत्सव में गिन्नी नाटक का। 

आशु को किया मानसिक परेशान:
इसके बाद स्कूल में आशु नाम के शर्मीले स्वभाव के लड़के को परेशान किया जाता है। आशु बोलता कम है, परंतु होशियार है। एक दिन देरी से आन पर अध्यापक उसे भला-बुरा सुनाते हैं और मानसिक प्रताड़ित करते हैं। बच्चों के सामने उसका परिहास करते हुए उसे गिन्नी के नाम से बुलाने लगते हैं। आशु को अपनी मूल पहचान खोने का डर है। अध्यापक द्वारा मानसिक रूप से परेशान करने पर छात्र आशु अपने आप को लज्जित महसूस करता है तथा लज्जाजनक स्थिति से निकलने का प्रयास करता है। एक दिन जयंती के अवसर पर कैंपस में कार्यक्रम रखा जाता है, जिसमें छात्रों को कविता पाठ करना था। उस दिन कोई भी कविता पाठ नहीं कर पाता है, तब गिन्नी खड़ा होता है और अपनी मधुर सुरीली आवाज से पाठ करता है। उसकी प्रतिभा देखकर सभी छात्र व गांव वाले अचंभित हो जाते हैं। तब अध्यापक को अपनी गलती का एहसास होता है, कि मैं बच्चों को बिना वजह डांटता हूं, जबकि इनमें तो मेरे से अधिक प्रतिभा छिपी है। यदि आज आशु नहीं होता तो मेरी प्रतिष्ठा खराब हो जाती। 

इन्होंने जीवंत किया नाटक:

नाटक में मनु शर्मा, अमर दान चारण, प्रियंका सैनी, कविता सैनी, विजय गुर्जर, रमेश, सोनू, विकास, ऋषिका, उन्नति, आयुष, कमल, तनु, निहाल सिंह, राहुल, अर्चना, सोनाली, सुशील कलाकारों ने भाग लिया। 
मैनेजर प्रियव्रत सिंह चारण ने बताया, कि रविंद्र नाथ ठाकुर द्वारा लिखित कहानी गिन्नी जिसका नाट्य रूपांतरण करा कर 8 दिन में मंचन कराया गया। कार्यक्रम में अनेक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, फिल्म व टीवी जगत के कलाकार, कला प्रेमी, साहित्यकार व अन्य उपस्थित रहे।