Enemy of the People play: समाज का कड़वा सच बयां करती है 'एनिमी ऑफ द पीपल' की कहानी

Enemy of the People play: समाज का कड़वा सच बयां करती है 'एनिमी ऑफ द पीपल' की कहानी

Ananya soch: 'Enemy of the People' play

अनन्य सोच: 'Enemy of the People' play: जवाहर कला केंद्र (Jawahar Kala Kendra) में नाटक 'एनिमी ऑफ द पीपल' (Enemy of the People' play) का मंचन हुआ. मूल रूप से हेनरिक इबसेन द्वारा लिखित एक घंटे 50 मिनट का यह नाटक प्रसिद्ध कवि और लेखक नेमी चंद्र जैन के रूपांतरण पर आधारित था. यह एक यथार्थवादी नाटक है जो भ्रष्टाचार से एकल युद्ध छेड़ने वाले नायक की कहानी को बयां करती है. योगेन्द्र सिंह परमार द्वारा निर्देशित नाटक नायक डॉ.अभय कुमार के इर्द-गिर्द घूमता है. जो समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित एक ईमानदार व्यक्ति है.


-भ्रष्टाचार से जंग की कहानी है एनिमी

नाटक में दिखाया जाता है कि डॉ. अभय कुमार अपने इलाके में फैली महामारी पर जांच करते हुए पाते हैं कि शहर के मुख्य जलस्रोत का पानी दूषित है और बिमारियों का घर है. चमड़ा उद्योग से निकला गंदा पानी मिलने से यह पानी विषाक्त बन गया है जिसे पीने से लोग बीमार पड़ने लगते हैं. चमड़ा उद्योग उनके ससुर का है जबकि शहर का मेयर निर्भय कुमार डॉ.अभय का भाई है, जो मामले को दबाना चाहता है लेकिन इसके बावजूद डॉ. अभय अन्य लोगों को इस बात से सचेत करते है. मेयर डॉ. अभय को अपना बयान वापस लेने को कहता है लेकिन डॉ.अभय अपनी जांच पर तटस्थ हैं जिससे दोनों भाईयों के संबंधों में खटास पड़ जाती है और जनहित को समर्पित डॉ. अभय को ही जनशत्रु घोषित कर राजनीति और मीडिया के दुष्चक्र में फंसा दिया जाता है. इसके बाद डॉ. अभय भ्रष्टाचार के खिलाफ एकल जंग छेड़ देते है. उन्हें शहर से निकालने की कोशिश भी की जाती है. 'सबसे मजबूत इंसान वह है जो अकेला खड़ा होता है' इसी सोच के साथ वह अपनी जंग जारी रखते है. 

समाज को संदेश देते हैं निर्देशक परमार -

एनिमी.. नाटक की कहानी समाज का कड़वा सच बयां करती है. नाटक के माध्यम से​ निर्देशक योगेन्द्र सिंह परमार समाज को कड़ा संदेश देते हैं कि ईमानदारी और अच्छाई की राह आसान नहीं है. अगर किसी को इस दुनिया में सच्चाई और ईमानदारी के साथ रहना है तो उसे हर पल 'जनता के दुश्मन' की तरह जीना होगा. परमार ने बताया कि इब्सन को यूं ही यर्थाथवाद का जनक नहीं कहा जाता है. वह अपने दर्शक को सिर्फ एक रोचक कथानक नहीं देते बल्कि एक मंथन का भागीदार बनाते हैं. 


डायलॉग्स डिलीवरी दमदार हैं. नाटक में मुख्य किरदार महमूद अली ने निभाया है. सह कलाकार की भूमिका में योगेंद्र सिंह, आस्था शर्मा, साक्षी, भव्य, नरेंद्र अरोड़ा, विनय सैनी, ऋतिक शर्मा, अंकित शर्मा, गौरव सोनी, प्रियांशु, उनैफ, दीक्षांक, श्याम यादव, राहुल भाटी, सोहित शेखावत, देशराज, सिद्धार्थ कुमावत और ओम दिखाई दिए. संगीत संचालन विमल मीणा का है जबकि कॉस्टयूम डिजाइन काजोल ने की है. नाटक में लाइट व प्रोजेक्शन तकनीक का बेहतरीन संयोजन किया गया है.