सरोद पर गूंजे राजस्थानी राग "मांड" के स्वर

उस्ताद अमजद अली खान के मधुर सरोद वादन से हुआ दो दिवसीय साहित्योत्सव ‘शहरनामा’ का समापन"

सरोद पर गूंजे राजस्थानी राग "मांड" के स्वर

अनन्य सोच, जयपुर। प्रभा खेतान फाउण्डेशन की ओर से 19 और 20 फरवरी को राजपूताना शेरेटन  होटल में आयोजित हुए दो दिवसीय साहित्योत्सव ‘शहरनामा कहानी-अपने शहरों’ ऐ बुटीक लिट्रेचर फैस्टिवल का समापन सोमवार को पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान के सुमधुर सरोद वादन से हुआ। दिनभर चली शहरों की बातचीत के रोचक दौर के बाद शाम का मखमली परिवेश उस समय और भी दिलकश हो गया जब अमजद अली खान ने सरोद पर स्वरों का सतरंगी गुलदस्ता सजाया। होटल राजपूताना के हवामहल के खुले परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में अमजद अली खान ने राजस्थानी राग "मांड" के स्वर सजाये. उन्होंने कहा कि स्वर और शब्द की यात्रा ऐतिहासिक रही है पर मेरा संबंध स्वरों की दुनिया से है. स्वर ही ईश्वर है. मैंने एक समय 40 ग़ज़लों की स्वर रचना बनाई थी लेकिन उनमे से एक के भी शब्द मुझे याद नहीं हैं लेकिन उनके स्वर या कहें उनकी धुने मुझे याद हैं. उनके साथ तबले पर मिथलेश झा और शुभ महाराज ने संगत की।

इससे पूर्व शहरनामा साहित्योत्सव के को-डायरेक्टर अपरा कुच्छल ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया और उस्ताज अमजद अली खान के कृतित्व और व्यक्तित्व की जानकारी दी। इस मौके पर अहसास वूमैन समूह की ओर से सुनीता शेखावत, रीना भंडारी, आकृति पेरिवाल, विनी कक्कड़ और नीलिमा डालमिया आधार ने अमजद अली खान को ब्लू पाटरी भेंट कर अभिनंदन किया।