ZojiLa Tunnel: इस केन्द्र शासित प्रदेश की लाइफ लाइन बनेगा जोजिला टनल, 2026 से पहले पूरा होगा काम.. लिंक पर करे क्लिक
अविनाश पाराशर -जोजिला दर्रा दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक चीन-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े होने से लद्दाख का खास सामरिक महत्व
Ananya soch: Union Territory of Ladakh news
अनन्य सोच, कारगिल। Union Territory of Ladakh' Zojila Tunnel: Ladakh सामरिक व सांस्कृतिक दृष्टि से भारत का महत्वपूर्ण क्षेत्र है. लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बने 31 अक्टूबर, 2022 को तीन वर्ष पूरे हो जाएंगे. इन तीन वर्षों में लद्दाख के ढांचागत विकास में तेजी आई है. China–Pakistan international border से जुड़े होने से Ladakh का खास सामरिक महत्व है. सर्दियों में भारी बर्फबारी से श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो जाता है. ऐसे में द्रास, कारगिल, लेह और सियाचिन (Drass, Kargil, Leh and Siachen) तक पहुंचना कठिन होता है. इसी कमी को पूरा करने के लिए Zojila Tunnel बन रही है. हिमालय में इतनी ऊंचाई पर टनल बनाने की हिम्मत इससे पहले किसी सरकार ने नहीं जुटाई. Zojila Pass दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक है. भविष्य में Zojila Tunnel लद्दाख की जीवन रेखा साबित होगी.
टनल का निर्माण कर रही Megha Engineering & Infrastructure Limited के प्रोजेक्ट हेड हरपाल सिंह बताते हैं- “ जोजिला टनल समुद्र तल से 3300 मीटर की ऊंचाई पर बन रही है, जो देश की सर्वाधिक ऊंचाई पर सबसे लंबी टनल है। सिंगल ट्यूब टनल को न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से तैयार किया जा रहा है। टनल बनने के बाद जोजिला दर्रे को पार करने में लगने वाला करीब ढाई घंटे का दुर्गम सफर महज 20 मिनट में पूरा हो जाएगा। भारत सरकार को यह टनल बनाकर 2026 तक सौंपना है.”
श्रीनगर से द्रास, कारगिल और लेह को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी से आवागमन बंद रहता है. ऐसे में लद्दाख में तैनात सेना को सैन्य उपकरण और रसद पहुंचाना कठिन और खर्चीला हो जाता है. यदि चीन और पाकिस्तान की ओर से कोई हरकत होती है तो सैन्य मूवमेंट के लिए केवल हवाई मार्ग पर ही निर्भरता रहती है. टनल बनने के बाद मार्ग साल भर खुला रहेगा। सैन्य मूवमेंट आसान होगा. वर्तमान में लद्दाख के लिए सब्जियां और राशन बहुत पहले ही इकट्ठा करना पड़ता है. इन चार महीनों में चंडीगढ़ से लद्दाख तक सेना का रसद पहुंचाने में ही करीब 400 करोड़ खर्च हो जाते हैं.
टनल की वर्तमान स्थिति
टनल के प्रोजेक्ट हेड हरपाल सिंह के अनुसार “टनल की लंबाई करीब 13 किलोमीटर है। दोनों की तरफ याने कश्मीर और लद्दाख की तरफ से करीब 4.5 किलोमीटर टनल बन चुकी है। जिस गति से काम चल रहा है, इस हिसाब से प्रोजेक्ट 2026 से पहले ही पूरा हो सकता है। टनल की लागत 4500 करोड़ है। करीब एक हजार करोड़ रुपये का काम हो गया है। शेष 3500 करोड़ का काम अगले चार सालों में पूरा होगा। टनल का काम करीब 30 प्रतिशत पूरा हो गया है। टनल को जोड़ने के लिए 18 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड भी बन रही है, रोड का भी करीब 35 फीसदी काम पूरा हो चुका है। पहाड़ों से आने वाली बर्फ को रोकने के लिए सड़क पर छोटी- छोटी कृत्रिम टनलें (ट्यूब) भी बनाई गई है, ताकि बर्फ से यातायात बाधित न हो.”
पर्यटन को
लगेंगे पंख
टनल बनने से लद्दाख में पर्यटन के साथ-साथ औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। लद्दाख ग्रीन ऊर्जा के हब के रूप में उभरेगा। सर्दियों में भी कश्मीर वैली का सम्पर्क लद्दाख से बना रहेगा। लद्दाख की करीब 3.5 लाख जनता को इसका सीधा फायदा मिलेगा। लद्दाख में इससे भी ज्यादा ऊंचाई पर और भी टनल प्लान की जा रही है। जो हिमाचल से लेह को परमानेंट कनेक्ट करेंगी।
एक और टनल बनेगी समानांतर
जोजिला टनल के सामांतर एक और टनल बनेगी, यह सेम साइज की होगी। भविष्य में ट्रैफिक बढ़ेगा तब आने-जाने के लिए अलग-अलग टनल हो जाएगी। दूसरी ट्यूब की डीपीआर का काम अंतिम चरण में है। दोनों ही टनल पांच-पांच सौ मीटर पर एक-दूसरे से कनेक्ट होगी। हर 125 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी कॉल करने की सुविधा होगी। सुरंग शुरू होने और खत्म होने तक कैमरे लगाए जाएंगे। इनका डेटा कम्युनिकेशंस लाइन के जरिए कंट्रोल रूम में भेजा जाएगा।
न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से बन रही है टनल-
पहले हमारे यहां सिम्पल टनल होते थे, इनमें दुर्घटनाएं ज्यादा होती थी. प्रोग्रेस कम आती थी. अब न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मेथेड से टनल बन रही है। यह बहुत ही सेफ ड्राइव टनलिंग सिस्टम है. वर्कर और स्ट्रक्चर की ज्यादा सेफ्टी होती है। लंबे समय तक टनल की स्टेबलिटी रहती है.