Jaipur literature Festival: जे एल एफ में गुस्सा हुआ एक रंगकर्मी.. मंच छोड़ दर्शाई नाराजगी.. पूरी जानकारी के लिंक पर करे क्लिक
नवल पांडेय।
Ananya soch: Jaipur literature Festival
अनन्य सोच। Jaipur literature Festival: Jaipur literature Festival के एक सत्र के दौरान एक प्रसिद्ध रंगकर्मी ने मंच छोड़ अपनी नाराजगी दर्शाई. ये मामला जेएलएफ के दूसरे दिन चारबाग में आयोजित memories from the screan and stage सत्र में हुआ, जब इला अरुण कश्मीर पर एडॉप्ट किए इप्शन के नाटक पर कुछ प्ले कर रही थीं... तो ऐसे में प्रसिद्ध रंगकर्मी एम के रैना मंच छोड़ कर चले गए. इस पर इला अरुण ने तंज करते हुए कहा कि एलबर्ट पिंटो को आखिर गुस्सा क्यूं आया...।
बाद में इला ने सफाई में कहा कि रैना को इस तरह मंच छोड़कर नहीं जाना चाहिए थे लेकिन उन्हें गुस्सा बहुत आता है. वहीं मंच से अंत में असद लालाजी ने कहा कि किसी भी लेखक का अपमान करना पैनल का उद्देश्य नहीं है, लेकिन अंत तक रैना मंच पर नहीं आए. जबकि इला ने सभी से उनकी किताब को खरीदने की अपील की. सत्र के बीच में जाने से पहले एम के रैना ने कहा था कि कश्मीर पर जो फिल्में बनाई जा रही है. इसमें वहां की हकीकत नहीं दिखाई जाती। लोगों को जाति, धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है.
सत्र में बॉलीवुड अभिनेत्री इला अरुण ने कहा कि चोली के पीछे गाना मेरा सिग्नेचर सॉन्ग बन गया। चोली के पीछे यानी पर्दे के पीछे कार्य करने वालों से है. आजकल पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ को भी ये गाना गाते हुए दिख जाएंगे. किताब लिखने के लिए लोगों ने मुझे प्रेरित किया है. जो औरतें पर्दे के पीछे रहती हैं..उनके लिए मैंने किताब भी लिखी है। मैंने राजनीति को इसमें शामिल नहीं किया है. मेरे लिए थियेटर एक मंदिर और जिंदगी है. जो कुछ भी कहना है आप कला के माध्यम से कह सकते है. लेकिन आज थियेटर की स्थिति सही नहीं है. आजकल लोग थियेटर में रुचि नहीं लेते हैं. वे आजकल बड़े बड़े मॉल्स और फास्ट फूड में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. उन्हें समझना होगा कि थियेटर समाज का आईना होता है. अपनी बात कहने और थियेटर के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का अच्छा माध्यम है.