तमाशा में दिखा कलाकारों का प्राचीन रूप

तमाशा में दिखा कलाकारों का प्राचीन रूप

अनन्य सोच, जयपुर। रियासतकालीन परंपरागत लोक नाटक की कला जब उसी अंदाज में पेश की गई तो कलाकारों का रूप देखकर कला प्रेमी रोमांचित नजर आए। आमेर में हुए मंचन में तमाशा गोपीचंद भर्तहरि में तमाशा के रचियता रहे स्व. बंधीधर भट्ट दाणिशिरोमणि की छठी व सातवीं पीढ़ी के कलाकारों ने राग  रागिनियों का समावेश कर संगीत की बारीकियों को लेते हुए मधुर गायन का परिचय दिया। ऐसे में दीलिप भट्ट तमाशा साधक ने साधना का परिचय दिया। गुरु दीक्षा, त्याग, बलिदान, तपस्या, योग, विधा तथा गोपीचंद की जीवनी की गाथा का मार्मिक तरीके से पेश किया।


मुख्य राग पहाड़ी, भूपाली, आसावरी, जोनपुरी, भैरव भैरवी, विहाग, सिंध काफी, कालिंगडा, दरबारी, वृंदावनी, सारंग आदि रागों में पूरा तमाशा पिरोया गया।