Ankuri Bankuri book: अनूठे कथ्य से सजी है आँकुरी बाँकुरी 

Ankuri Bankuri book: सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ सत्यनारायण ने कहा कि ऐसा बहुत कम होता है कि किसी कथाकार के पहले कहानी संग्रह में ही कथ्य की नवीनता और भाषा की सुघड़ता से युक्त परिपक्व कहानियाँ पढ़ने को मिले.

Ankuri Bankuri book: अनूठे कथ्य से सजी है आँकुरी बाँकुरी 

Ananya soch: Ankuri Bankuri book

अनन्य सोच। Ankuri Bankuri book: महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती की स्मृति में आयोजित भारतीय भाषा उत्सव के अन्तर्गत आज डॉ राधाकृष्णन पुस्तकालय में शब्द समय की ओर से उजला लोहिया के कहानी संग्रह आँकुरी बाँकुरी (Ankuri Bankuri book) पर चर्चा हुई.

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ सत्यनारायण ने कहा कि नए शिल्प, नए भाव बोध, नए कथ्य और नई संवेदनशीलता ने उनकी कहानियों को एक अलग मिज़ाज में ढाल दिया है. उजला की बारीकी से चीजों को देखने की  दृष्टि अद्भूत है. इनकी हर कहानी में प्रकृति है, जीव जन्तु है, जंगल है और कमाल के पात्र हैं. 
कवि प्रेमचंद गांधी ने कहा कि उजला में जयपुर को देखने और उसे देखे हुए को रचना में रूपांतरित  करने की दृष्टि है.

इन कहानियों का साधारणीकरण पाठकों को आकर्षित करता है. इनकी कहानियों की चित्रात्मक भाषा में बने स्केचों में आप ख़ुद नये रंग भर सकते हैं. यहाँ कुदरत को बचाने की रचनात्मक कोशिश है। इनके पात्र थोपे हुए नहीं बल्कि ज़मीन से निकले हुए लगते हैं. लेखिका सोनू यशराज का कहना था कि उजला की कहानियों के महिला पात्र सशक्तता से उभरे हैं. आज के दौर में सशक्त होकर ही जिया जा सकता है. उजला के यहाँ अनूठे अनछुए कथ्य हैं. यह कहानियाँ भीतर हलचल मचाती है. लेखिका श्रद्धा आढा ने कहा कि इन कहानियों में प्रकृति के साथ लयात्मकता व संगीतात्मकता है जो उजला की अपनी नितांत मौलिक शैली है. उन्होंने कहा कि बचपन की स्मृतियों से उपजे परिवेश का ताना बाना इन कहानियों की ताक़त है.


वरिष्ठ आलोचक राजाराम भादू ने उजला की कहानियों को नये कलेवर की उम्मीद जगाती कहानियाँ बताया और कहा कि उजला को प्रकृतिवाद से थोड़ा बचते हुए आगे बढ़ना चाहिए.